Friday, October 31, 2014

मेष और सिंह राशि पर शनि की ढैया शुरू, इन उपायों से मिलेगा फायदा





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2 नवम्बर को शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही सिंह और मेष राशि पर शनि की ढैया शुरू हो जाएगी। ज्योतिष की भाषा में इसे कांता शनि और अष्टम शनि कहा जाता है.  शनि चंद्रमा से चौथे घर हो तो वह कांता शनि कहलाता है जबकि शनि चंद्रमा से आठवें घर आ जाए तो उसे अष्टम शनि कहते हैं। 2 नवम्बर से शनि में राशि परिवर्तन के साथ ही मीन और कर्क राशि को शनि की ढैया से मुक्ति मिल जाएगी। शनि की यह ढैया 26 जनवरी 2017 तक करीब 27 महीने चलेगी।
ढैया में जातको को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए-
1 शनि की ढैया के दौरान शनि मंत्रों का जाप करना लाभकारी रहेगा।
वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु ‍पीतये। शं यो‍रभि स्रवन्तु न:।।
पौराणिक मंत्र
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्।।
बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
सामान्य मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नम:
2 कांता शनि के प्रभाव में आए जातकों को शनिवार के दिन सरसों का तेल छाया पात्र में डालकर एक जैसे चार सिक्के डाल कर उसमें अपना चेहरा देख कर शनिदेव को अर्पित करना चाहिए।
3 अष्टम शनि के प्रभाव में आए जातक एक जैसे आठ सिक्के छाया पात्र में सरसों के तेल में डाल कर शनिदेव को अर्पित करें।

Monday, October 27, 2014

राशि के अनुसार जल के अनुचित प्रयोग का परिणाम



मेष राशि वाले यदि पानी को गंदा करते हैं या बर्बाद करते हैं तो उनकी सुख-सुविधाओं में कमी आ सकती है।

वृष वाले के लिए पानी की बर्बादी का मतलब है उनकी तरक्की में बाधा का आना. यानि की जल की बर्बादी का संबंध पदोन्नति में अड़चन से है।

मिथुन राशि वाले यदि पानी को खराब करते हैं तो उनका संचित धन नष्ट हो सकता है।

कर्क राशि वालों के द्वारा ऐसा करने पर उसके व्यक्तित्व का ही संपूर्ण विकास बाधित हो जाता है।

5 सिंह राशी वाले यदि पानी की बर्बादी करते हैं, तो उनका व्यय अधिक होता है, और बचत नहीं होती है |

पानी को गंदा करने या बर्बाद करने का असर कन्या राशि पर भी पड़ता है। इस राशि वालों की तो आय ही प्रभावित हो जाती है।

तुला राशि वालों के लिए पानी का दुरुपयोग करने का अर्थ है उनके कर्म क्षेत्र का प्रभावित हो जाना।

जल को नष्ट करने वाले यदि वृश्चिक राशि के हैं तो उनका भाग्य नष्ट हो सकता है।

धनु राशि वालों के लिए पानी की बर्बादी का अर्थ है आयु में कमी।

10 मकर राशि वालों के लिए पानी का दुरुपयोग पारिवारिक परेशानी का कारण बनता है।

11 कुंभ राशि वाले यदि पानी को बर्बाद करते हैं तब उन्हें रोग और ऋण का सामना करना पड़ता है।

12 मीन राशि वालों के द्वारा पानी गंदा करने से उनके संतान-सुख में कमी आती है।

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Tuesday, October 21, 2014

धनतेरस: राशि अनुसार क्या खरीदें-क्या नहीं, पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

FROM THE BHASKAR 

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से ही दीपावली पर्व का प्रारंभ हो जाता है। इस बार यह पर्व 21 अक्टूबर, मंगलवार को है। इस पर्व पर भगवान धनवंतरि की पूजन का विधान है। ज्योतिष के अनुसार ये दिन खरीदी के लिए बहुत ही शुभ होता है। इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए राशि के अनुसार धनतेरस पर क्या खरीदें- क्या नहीं-
मेष- उच्च का शनि एवं नीच का सूर्य की पूर्ण दृष्टि से इस राशि वालों को लोहे एवं उससे निर्मित वस्तुओं को खरीदने से बचना चाहिए। सोना, चांदी, बर्तन, गहने, हीरा, वस्त्र खरीदना शुभ होगा। चमड़ा, केमिकल आदि भी नही खरीदें।
वृषभ- सोना, चांदी, पीतल, कांसा, हीरा, कम्प्यूटर, बर्तन आदि की खरीदी शुभ रहेगी। केसर, चंदन की भी खरीदारी कर सकते हैं। फर्टिलाइजर्स, वाहन, तेल, चमड़े एवं लकड़ी आदि से बनी वस्तुओं को खरीदने से बचें।
मिथुन- जमीन, मकान, प्लॉट आदि के सौदे के लिए लाभकारी दिन है। पुखराज सोना, चांदी आदि निश्चिंत होकर खरीदारी करें।
कर्क- शनि की ढय्या होने के कारण अपने नाम के अलावा परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम पर खरीदारी करें तो बेहतर होगा। बच्चों को उपहार देने के लिए किसी वस्तु का खरीदना उचित होगा। सोना खरीदने से बचें। शेयर में निवेश नही करें।
सिंह- वाहन, बिजली उपकरण, स्वर्ण, चांदी, तांबा, पीतल, बर्तन, लकड़ी का सामान खरीद सकते हैं। लोहे एवं सीमेंट से बनी वस्तुएं नही खरीदें। चांदी लाभ दे सकती है। बने हुए मकान एवं फ्लैट आदि भी लाभदायक होंगे।
कन्या- इस दिन आप जमीन आदि खरीद सकते हैं। चंद्र के गोचर एवं राशि स्वामी का प्रथम होने से चांदी की वस्तु नहीं खरीदें। नए वस्त्रों में भी सफेद वस्त्रों का त्याग करें। हीरा एवं सोना भी नहीं खरीदें।
तुला- कोई आवश्यक खरीदारी करना हो तो परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम से करें। सूर्य, शनि एवं शुक्र की युति आपको संभलकर रहने का संकेत करती हैं। निवेश के लिए थोड़ा इंतजार करें।
वृश्चिक- सोना, चांदी, बर्तन, पीतल, वस्त्र, लोहा एवं उससे निर्मित वस्तु खरीद सकते हैं। किसी नए बड़े निवेश से बचें। ब्रांडेड सामान ही खरीदें।
धनु- मंगल का गोचर आपको जमीन-जायदाद से लाभ दिलाने का योग बना रहा हैं। राशि स्वामी गुरु के का होने से कीमती धातुओं से भी लाभ होगा। हीरा एवं कीमती पत्थर भी खरीद सकते हैं।
मकर- समय बहुत ही अच्छा रहेगा। सभी वस्तुओं के खरीद में फायदा प्राप्त करेंगें। वस्त्र एवं सोना विशेष फायदा देने वाला होगा। पारिवारिक उपभोग की वस्तु उपयोगी साबित होगी।
कुंभ- किताबें, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएं, लकड़ी का समान, फर्नीचर एवं सजाने के समान खरीदने में ज्यादा रुचि होगी। निवेश के समय अच्छा है। स्थाई संपत्ति खरीदने से बचें।
मीन- सोने चांदी, कीमती नग आदि खरीदने का अच्छा अवसर है। स्थाई संपत्ति में निवेश ठीक नही होगा। शेयर आदि से भी बचें। वस्त्र में लाभ होगा।
खरीदी के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
सुबह 09 से 10:30 शाम तक- चंचल
सुबह 10:30 से दोपहर 12 बजे तक- लाभ
दोपहर 03 से शाम 04:30 बजे तक- शुभ
शाम 07:30 से रात 09 बजे तक- लाभ
इस विधि से करें भगवान धनवंतरि का पूजन
धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की विशेष पूजन-अर्चना की जाती है। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार देवताओं व दैत्यों ने जब समुद्र मंथन किया तो उसमें से कई रत्न निकले। समुद्र मंथन के अंत में भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। उस दिन कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी ही थी। इसलिए तब से इस तिथि को भगवान धनवंतरि का प्रकटोत्सव मनाए जाने का चलन प्रारंभ हुआ। पुराणों में धनवंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार भी माना गया है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का पूजन इस प्रकार करें-
पूजन विधि- सर्वप्रथम नहाकर साफ वस्त्र धारण करें। भगवान धनवंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। उसके बाद भगवान धन्वन्तरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
इसके पश्चात पूजन स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं। इसके बाद आचमन के लिए जल छोड़ें। भगवान धन्वन्तरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। (अगर चांदी का पात्र उपलब्ध न हो तो अन्य पात्र में भी भोग लगा सकते हैं।) इसके बाद पुन: आचमन के लिए जल छोड़ें। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वन्तरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वन्तरि को अर्पित करें। रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।
इसके बाद भगवान धनवंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजन के अंत में कर्पूर आरती करें।
पूजन का शुभ मुहूर्त
शाम 07:30 से रात 09 बजे तक- लाभ


Saturday, October 18, 2014

वासुकि नाग-पूजा




"वासुकि नाग-पूजा"


अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम !

शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं च कालियं तथा !!

एतानि नव नामानि नागानां च महत्मानाम !

सांयकाले पठेनित्यम प्रातः विशेषत: !!

तस्य विष भयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् !

सर्व कार्य फल प्राप्ति प्रचछन्नम च धनं लभेत !!

ॐ नमोअस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वी !

म्न्वन्त्रिक्षे ये दिवि तेभ्यः वासुकाद्यष्ट कुल नागेभ्योः नमः !!
 


सभी वैज्ञानिकों के द्वारा और ऋषि मुनियों के द्वारा भी कहा जाता है 

की सर्प इस पृथ्वी पर सभी जगह मिलते हैं ! ये आज हजारों की संख्या

 में अलग अलग प्रजातियों के हैं किन्तु मूलतः इनकी उपरोक्त नौ 

प्रजातियाँ ही हैं और इन्हें महात्मा का स्थान भी प्राप्त है ! इनका 

स्मरण दोनों संध्याओं पर करने से व्यक्ति को कभी विष का भय नहीं 

होता , सभी जगह विजय-श्री भी प्राप्त होती है और पृथ्वी के नीचे रहने

के कारण या गढ़े खजाने पर यक्ष बन बैठने के कारण इनके प्रसन्न 

होने पर साधक को ये प्रसन्न हो खजाना भी दे देते है ! 

राहू की दशा में जैसे लाटरी का लगना आदि !





"गोमती चक्र"

"गोमती चक्र"


१)गोमती चक्र को रोगी  के बिस्तर पर रखने से जल्दी अच्छा होता हे ..

२)रविवार के दिन थोडा सिंदूर गोमती चक्र पर लगा के शत्रु का नाम लेकर नदी या तालाब में 

डालने से शत्रु पर प्रभाव रहेता हे, कोर्ट -कचहरी में सफलता मिलती हे 

३)कोई भी काम क पूरा करने के लिये एक गोमती चक्र घर के दरवाजे की चोखट पे रखे उस को 

बाए पैर के निचे दबाके दाए पैर से बहार आने से काम में सफलता मिलती हे 

४)एक गोमती चक्र को शुभ दिन गंगा जल में रखिये थोड़े समय बाद उस पर केसर लगाये और 

अगरबत्ती का धुप देकर आलमारी में रखने से आर्थिक संकट  दूर होता  हे 

५)सुफला एकादशी की रात को पांच गोमती चक्र की पूजा करके उस पर केसर का तिलक कर के 

साथ में शालिंग्राम की भी पूजा करने से धन लंबे समय तक टिकता हे 

६)जिस वास्तु में अशुभ तत्व और भुत /प्रेत का वास हो या ऐसा शक हो तो दो गोमती चक्र,

 घर के बड़े व्यक्ति के सिर पर से सात बार उतार के उस को अग्नि में डाल दीजिए 

७)जिस वास्तु में बीमारी घर कर गई हो अनेक दवाई लेने से भी बीमारी दूर ना होती हो तो एक

 गोमती चक्र शुध्ध चांदी में बना के पेशन्ट के गले में बाँध ने से अच्छा रहेता हे 

८)दो गोमती चक्र मुख्य द्वार पर ऐसे लगाये की ग्राहक उसके नीचे से होकर अंदर आए, 

व्यवसाय में सफलता मिलेगी 

09)कोई विद्वान ब्राह्मण को दो गोमती चक्र देने से मान -सन्मान बढ़ता हे



Friday, October 17, 2014

जब भूत प्रेत या नकारात्मक शक्ति सताने लगे


कहते हैं कि इस दुनिया से अलग एक दूसरी दुनिया है जो लोक और परलोक के बीच में है। यह दुनिया है आत्माओं की दुनिया। कुछ लोग इस दुनिया में रहने वालों को भूत प्रेत कहते हैं। कुछ लोग इन्हें भटकती आत्मा कहते हैं।
भूत प्रेत और भटकती आत्माएं हमेशा इंसानों से दूर रहना पसंद करती हैं लेकिन कभी कुछ ऐसा संयोग बना जाता है जब भटकती आत्माएं अपनी दुनिया से निकलकर किसी चाहत को पूरा करने के लिए इंसानों की दुनिया में आ जाते हैं।
ऐसी स्थिति में इंसान को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं से बचने के लिए वर्षों से देश के कई भागों एक टोटका आजमाया जाता है। जब कभी आपको भी लगे कि नकारात्मक उर्जा यानी ऊपरी चक्कर है तो एक बर्तन में सरसों का तेल लेकर आग पर गर्म करें।
इसमें चमड़े का एक टुकड़ा डालें। जब धुआं निकलने लगे, इसमें नींबू, थोड़ी सी फिटकरी, तीन काली चूड़ी और एक कील डाल दें। इसे पीड़ित व्यक्ति के सिर के ऊपर से सात बार घुमाएं। इसके बाद इसे कहीं गड्ढ़ा खोदकर दबा दें। इसके ऊपर एक कील ठोंक दें।
माना जाता है कि ऐसा करने से पीड़ित व्यक्ति से भूत-प्रेत का साया या यूं कहें नकारात्मक शक्ति का असर दूर हो जाता है।
नोट: यह पारंपरिक घरेलू टोटका हैं।  श्रीपद जेम्स ब्लॉगर का इससे किसी प्रकार का कोई सरोकार नहीं है।

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Thursday, October 16, 2014

नारियल से जानें अपना ब्लड ग्रुप


http://jansevanews.com/?p=1185

छत्तीसगढ़ के रायपुर में ऐग्रिकल्चर डिपार्टमेंट के बी. डी. गुहा ने नारियल से ब्लड ग्रुप पहचानने की तकनीक ईजाद की है। गुहा किसी भी इंसान को छुए बिना महज 10 सेकंड में उसका ब्लड ग्रुप बता देते हैं।
गुहा का दावा है कि वह इस तकनीक से भरा और खाली सिलिंडर,अंडरग्राउंड पानी और सुरंगों की भी पहचान कर सकते हैं। गुहा बताते हैं कि वह नारियल से 5 ब्लड ग्रुप- ए पॉजिटिव, एबी पॉजिटिव, बी पॉजिटिव, ओ पॉजिटिव और ओ निगेटिव की पहचान सकते हैं, बाकी तीन के लिए रिसर्च जारी है। उनके तीनों बच्चे भी इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं। उनकी पत्नी मीनाक्षी भी अब इस आर्ट में एक्सपर्ट हो गई हैं।
गुहा बताते हैं कि किसी भी व्यक्ति के सिर से थोड़ा ऊपर हथेली में नारियल लें। थोड़ी देर में नारियल अलग दिशा में मुड़ जाता है। जिस जगह अंडरग्राउंड पानी या उसकी पाइपलाइन हो, वहां नारियल सही नतीजे नहीं बताता। ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप होने पर नारियल 45 डिग्री की पोजिशन लेता है। एबी पॉजिटिव में 45 से 55 डिग्री, बी पॉजिटिव में 60 डिग्री, ओ पॉजिटिव में 90 और ओ नेगेटिव में 180 डिग्री की पोजिशन ले लेता है।
गुहा ने बताया कि साल 2005 में बलौदा बाजार के एक स्कूल में पानी के स्रोत का पता लगाने के लिए उन्हें बुलाया गया था। वहां बच्चे बहुत शरारत कर रहे थे। उन्हें शांत कराने के लिए गुहा ने कहा कि तुम सब एक लाइन में खड़े हो जाओ, मैं देखूंगा कि तुममें पानी है या नहीं। मजाक में किए गए इस परीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि कुछ बच्चों के सिर से थोड़ा ऊपर हथेली पर रखा नारियल 90 डिग्री में खड़ा हो गया। इसके बाद उन्होंने यही एक्सपेरिमेंट अपने बच्चों पर किया। नतीजा वही रहा।
इसके अलावा लैब में बच्चों का ब्लड ग्रुप चेक करने पर ओ पॉजिटिव निकला। बस यहीं से उनका सफर शुरू हो गया। फिलहाल अब गुहा परिवार रिसर्च के बाद नई जानकारियां जानने में लगा है। विभिन्न ब्लड ग्रुप में नारियल दिशा क्यों बदलता है, अब वह इसके लिए रिसर्च कर रहे हैं।

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Tuesday, October 14, 2014

धन तेरस - महालक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर



AN ARTICLE FROM -

http://www.ajabgjab.com/2014/10/dhanteras-and-jyotish-shastra.html

ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन समृद्धि प्राप्ति के लिए किया गया कोई भी उपाय ज्यादा फलदायी होता है। ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे उपाय बताएं गए है जिनके बारे में मान्यता है की इन्हें धनतेरस के दिन किसी भी शुभ समय में किया जाए तो घर में स्थिर लक्ष्मी का निवास होता है।

मंदिर में लगाएं केले के पौधे :-

धनतेरस के दिन किसी भी मंदिर में केले के दो पौधे लगाएं। इन पौधों की समय-समय पर देखभाल करते रहें। इनके बगल में कोई सुगंधित फूल का पौधा लगाएं। केले का पौधा जैसे-जैसे बड़ा होगा, आपके आर्थिक लाभ की राह प्रशस्त होगी।

मोर की मिट्टी की करे पूजा :-

धनतेरस पर यदि पूजा के समय किसी ऐसे स्थान की मिट्टी जहां मोर नाचा हो लाकर और पूजा करें। इस मिट्टी को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखने से घर पर हमेशा लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

गाय का भोजन जरूर निकालें:-

धनतेरस और दीपावली के दिन रसोई में जो भी भोजन बना हो, सर्वप्रथम उसमें से गाय के लिए कुछ भाग अलग कर दें। ऐसा करने से घर में स्थिर लक्ष्मी का निवास होगा।

चमगादड़ के पेड़ की टहनी रखे पास :-

धनतेरस के दिन किसी भी शुभ समय में किसी ऐसे पेड़ की टहनी तोड़ कर लाएं, जिस पर चमगादड़ रहते हों। इसे अपने बैठने की जगह के पास रखें, लाभ होगा।


दक्षिणावर्ती शंख में लक्ष्मी मंत्र का जप :-

धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन के बाद दक्षिणावर्ती शंख में लक्ष्मी मंत्र का जप करते हुए चावल के दाने व लाल गुलाब की पंखुड़ियां डालें। ऐसा करने से समृद्धि का योग बनेगा।
मंत्र- श्रीं

लक्ष्मी को अर्पित करें लौंग :-

धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन के बाद लक्ष्मी या किसी भी देवी को लौंग अर्पित करें। यह काम दीपावली के दिनों में रोज करें। आर्थिक लाभ होता रहेगा।

सफेद चीजों का करें दान :-

धनतेरस पर सफेद पदार्थों जैसे चावल, कपड़े, आटा आदि का दान करने से आर्थिक लाभ का योग बनता है।

सूर्यास्त के बाद न करें झाड़ू-पोंछा :- 

दीपावली के दिनों में और हो सके तो रोज ही शाम को सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू-पोंछा न करें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी चली जाती है।

गरीब की आर्थिक सहायता करें :-

धनतेरस पर किसी गरीब, दुखी, असहाय रोगी को आर्थिक सहायता दें। ऐसा करने से आपकी उन्नति होगी।

किन्नर को धन करें दान :-

धनतेरस के दिन किसी किन्नर को धन दान करें और उसमें से कुछ रुपए वापस अनुरोध करके प्राप्त कर लें। इन रुपयों को सफेद कपड़े में लपेटकर कैश तिजोरी में रख लें, लाभ होगा।

लघु नारियल का उपाय :-

1- धन तेरस पर पूजा के समय धन, वैभव व समृद्धि पाने के लिए 5 लघु नारियल पूजा के स्थान पर रखें। उन पर केसर का तिलक करें और हर नारियल पर तिलक करते समय 27 बार नीचे लिखे मंत्र का मन ही मन जप करते रहें-

ऐं ह्लीं श्रीं क्लीं

2- 11 लघु नारियल को मां लक्ष्मी के चरणों में रखकर ऊं महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नीं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् मंत्र की 2 माला का जप करें। किसी लाल कपड़े में उन लघु नारियल को लपेट कर तिजोरी में रख दें व दीपावली के दूसरे दिन किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। ऐसा करने से लक्ष्मी चिरकाल तक घर में निवास करती है।

3- यदि आप चाहते हैं कि घर में कभी धन-धान्य की कमी न रहे और अन्न का भंडार भरा रहे तो 11 लघु नारियल एक पीले कपड़े में बांधकर रसोई घर के पूर्वी कोने में बांध दें।

घर लाए चांदी के गणेश, चांदी की लक्ष्मी:-

लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय, व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है। इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है।

सूखे धनिया के बीज का भी महत्व:-

ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है। दीपावली के दिन इन बीजों को बाग, खेत खलिहानों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है।


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धनतेरस पूजन में क्या करें

WEB DUNIA SE SAABHAAR






प्रचलित कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी‍ अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने देवताओं को अमृतपान कराकर अमर कर दिया था। 


अतः वर्तमान संदर्भ में भी आयु और स्वास्थ्य की कामना से धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी‍ का पूजन किया जाता है। इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन भी किया जाता है। 


कई श्रद्धालु इस दिन उपवास रहकर यमराज की कथा का श्रवण भी करते हैं। आज से ही तीन दिन तक चलने वाला गो-त्रिरात्र व्रत भी शुरू होता है। 



* इस दिन धन्वंतरी‍ जी का पूजन करें। 


* नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।

* सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।

* मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।

* यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।

* हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।

* कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआं, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं। 

समस्त धन सम्पदा और ऐश्वर्य के स्वामी कुबेर के लिए धनतेरस के दिन शाम को 13 दीप समर्पित किए जाते हैं। कुबेर भूगर्भ के स्वामी हैं। कुबेर की पूजा से मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा जागृत होती है और धन अर्जन का मार्ग प्रशस्त होता है। 



धनतेरस पूजन में क्या करें


(अ) कुबेर पूज
शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गादी बिछाएं अथवा पुरानी गादी को ही साफ कर पुनः स्थापित करें।
पश्चात नवीन बसना बिछाएं।


सायंकाल पश्चात तेरह दीपक प्रज्वलित कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करते हैं।



कुबेर का ध्यान



निम्न ध्यान मंत्र बोलकर भगवान कुबेर पर फूल चढ़ाएं -



श्रेष्ठ विमान पर विराजमान, गरुड़मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा एवं वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत तुंदिल शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र निधीश्वर कुबेर का मैं ध्यान करता हूं।



इसके पश्चात निम्न मंत्र द्वारा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें -


'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये 
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।' 


इसके पश्चात कपूर से आरती उतारकर मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें।



(ब) यम दीपदान



* तेरस के सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें।


* पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-

'मृत्युना दंडपाशाभ्याम्‌ कालेन श्यामया सह। 
त्रयोदश्यां दीपदानात्‌ सूर्यजः प्रयतां मम। 


अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नता के लिए सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें।



इसी प्रकार एक अखंड दीपक घर के प्रमुख द्वार की देहरी पर किसी प्रकार का अन्न (साबूत गेहूं या चावल आदि) बिछाकर उस पर रखें। (मान्यता है कि इस प्रकार दीपदान करने से यम देवता के पाश और नरक से मुक्ति मिलती है।)



यमराज पूजन



* इस दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखें।


* रात को घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाएं।

* जल, रोली, चावल, गुड़, फूल, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर यम का पूजन करें।

ओम यम देवताभ्यो नमः  

डॉ. मनस्वी श्रीविद्यालंकार

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 ASHUTOSH - 
(Astrologer,Vaastu Consultant & Palmist)

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दिवाली ( दीपावली / दीपोत्सव ) के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाये



DEAR READERS,

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TEAM - SHREEPAD GEMS DOT COM 

Monday, October 13, 2014

धनतेरस: अपनी राशि अनुसार करें पूजापाठ, मालामाल हो जाएंगे

FROM - THE BHASKAR


धनतेरस के दिन धनवन्तरी, धन की देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज का पूजन किया जाता है।
अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए धनतेरस का दिन बहुत अहम होता है। धनतेरस के दिन राशि के अनुसार नीचे लिखे उपाय किए जाएं तो धन-संपत्ति आदि का लाभ होता है। ये उपाय इस प्रकार हैं-
मेष- यदि आप धनतेरस के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक में दो काली गुंजा डाल दें, तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। आपका उधार दिया हुआ धन भी प्राप्त हो जाएगा।
वृषभ- यदि आपके संचित धन का लगातार खर्च हो रहा है तो धनतेरस के दिन पीपल के पांच पत्ते लेकर उन्हे पीले चंदन में रंगकर बहते हुए जल में छोड़ दें।
मिथुन- बरगद से पांच फल लाकर उसे लाल चंदन में रंगकर नए लाल वस्त्र में कुछ सिक्कों के साथ बांधकर अपने घर अथवा दुकान में किसी कील से लटका दें।
कर्क- यदि आपको अचानक धन लाभ की आशा हो तो धनतेरस के दिन शाम के समय पीपल वृक्ष के समीप तेल का पंचमुखी दीपक जलाएं।
सिंह- यदि व्यवसाय में बार-बार हानि हो रही हो या घर में बरकत ना रहती हो तो धनतेरस के दिन से गाय को रोज चारा डालने का नियम लें।
कन्या- यदि जीवन में आर्थिक स्थिरता नहीं हो तो धनतेरस के दिन दो कमलगट्टे लेकर उन्हें माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें।
तुला- यदि आप आर्थिक परेशानी से जुझ रहे हैं तो धनतेरस के दिन शाम को लक्ष्मीजी के मंदिर में नारियल चढ़ाएं।
वृश्चिक- यदि आप निरंतर कर्ज में उलझ रहें हो तो धनतेरस के दिन श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल वृक्ष पर चढ़ाएं।
धनु- धनतेरस के दिन गुलर के ग्यारह पत्तों को मोली से बांधकर यदि किसी वट वृक्ष पर बांध दिया जाए, तो आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
मकर- यदि आप आर्थिक समस्या से परेशान है, किंतु रूकावटें आ रही हों, तो आक की रूई का दीपक शाम के समय किसी तिहारे पर रखने से आपको धन लाभ होगा।
कुंभ- जीवन स्थायी सुख-समृद्धि हेतु प्रत्येक धनतेरस की रात में पूजन करने वाले स्थान पर ही रात्रि में जागरण करना चाहिए।
मीन- यदि व्यवसाय में शिथिलता हो तो केले के दो पौधे रोपकर उनकी देखभाल करें तथा उनके फलों को नहीं खाएं।

रुद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Rudraksha


http://astrobix.com/rudrakshahin/17-%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AD__Health_Benefits_of_Rudraksha.html


रुद्राक्ष स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना गया है. आयुर्वेद में रुद्राक्ष को महान औषधि संजीवनि कहा है. रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ के लिए अनेक प्रकार से उपयोग किया जा सकता है.

त्रिदोषों से मुक्ति हेतु | Rudraksha gives relief from three basic health ailments

वात, पित्त और कफ त्रिदोष हैं इनका असंतुलन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. अत: शरीर में इनका संतुलन बेहद आवश्यक है. इसलिए इन दोषों से मुक्ति हेतु रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है. त्रिदोषों के शमन के लिए रुद्राक्ष का उपयोग बेहद लाभदायक है. रुद्राक्ष को घीस कर पीने से कफ से उत्पन्न रोगों का शमन होता है.

रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक | Rudraksha helps to control blood pressure

रुद्राक्ष के रक्तचाप को सामान्य बनाने के लिए भी बहुत लाभदायक होता है. इसमे इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फिल्ड होने के कारण यह शरीर में रक्तका संचार व्यवस्थित करता है. मान्यता है कि इसे धारण करने से मन को शांति मिलती है क्योंकि यह शरीर की गर्मी को अपने में खींचकर उसे बाहर कर देता है. दोमुखी रुद्राक्ष की भस्म को स्वर्णमाच्छिक भस्म के साथ बराबर मात्रा में एक रत्ती सुबह-शाम हाई ब्लडप्रेशर के रोगी को दूध  के साथ सेवन कराई जाए तो यह फ़ायदेमंद होती है.

हृदय रोगों से बचाव के लिए | Rudraksha protects from heart diseases

रुद्राक्ष द्वारा आप रक्त चाप को सामान्य रख सकते हैं तथा ह्रदय संबंधि रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. रुद्राक्ष को कंठ में इस प्रकार धारण करें कि उसका स्पर्श आपके हृदय स्थल का स्पर्श कर सके. इसके अलावा कृतिका नक्षत्र समय या रविवार के दिन पांच मुखी रुद्राक्ष को तांबे के कलश में जल भरकर डाल दें तथा अगले दिन खाली पेट इस जल का सेवन करें ऐसा नियमित रुप से करते रहें इससे हृदय संबंधी समस्याओं से निजात प्राप्त होगा.

खसरा (मिजल्स)  से बचाव हेतु | Rudraksha protects from Measles

रुद्राक्ष का उपयोग चेचक की बिमारी के लिए भी किया जाता है. खसरा होने पर रुद्राक्ष घिसकर चाटने से आराम मिलता है.

स्मरण शक्ति को तेज करता है | Rudraksha helps to increase the memory power

रुद्राक्ष स्मरण शक्ति को तेज करता है तथा यादाशत मजबूत बनाता है. चार मुखी रुद्रा़ का उपयोग करने से मंद बुद्धि, क्षीण स्मरण शक्ति एवं कमजोर वाक शक्ति मजबूत होती है.

चर्म रोगों को दूर करे | Rudraksha to remove skin diseases

रुद्राक्ष के कुछ दाने ताँबे के बर्तन में पानी डालकर भिगोकर यह रुद्राक्ष जल सुबह खाली पेट ग्रहण करने से विभिन्न चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है. तीन मुखी रुद्राक्ष को घिस कर इसका लेप नाभि पर लगाने से धातु रोग दूर होता है. इसके अतिरिक्त नौ मुखी रुद्राक्ष की भस्म को तुलसी के पत्तों के साथ मिलाकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है.
रुद्राक्ष को नीम के पत्तों के साथ मिलाकर चूर्ण बना लें इस चूर्ण को लेप की तरह खुजली वाले स्थान पर लगाएँ फायदा होगा.

रुद्राक्ष सौंदर्यवर्धक | Rudraksha to enhance beauty

त्वचा में कांति एवं निखार लाने हेतु भी रुद्राक्ष बहुत फ़ायदेमंद होता है. रुद्राक्ष को चंदन में पिस कर उबटन की तरह चेहरे पर लगाने से चेहरा मुलायम एवं निखार से भर जाता है. इस उबटन को पूरे शरीर पर लगाने से तन की दुर्गंध भी दूर हो जाती है. इसके अलावा रुद्राक्ष को बादाम और गुलाब जल के साथ मिलाकर भी उबटन रुप में उपयुक्त किया जा सकता है.

शरीर के दर्द को दूर करता है | Rudraksha gives relief from body pains

शरीर में होने वाले दर्दों जैसे गठिया की समस्या या जोडों का दर्द या फिर शरीर में किसी अंग पर सूजन आ जाने पर रुद्राक्ष द्वारा उपचार करने से बहुत लाभ मिलता है. रुद्राक्ष को पीस कर उसे सरसों के तेल के साथ मिलाकर मालिश करने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है.

सर्दी जुकाम और खांसी को दूर करता है | Rudraksha helsp to treat cold and cough

रुद्राक्ष को तुलसी के साथ मिलाकर चूर्ण की तरह बना लें और इस चूर्ण को शहद के साथ नियमित रुप से खाली पेट सेवन करें लाभ होगा.

तनाव दूर करने में सहायक | Rudrakshs helps to reduce stress

रुद्राक्ष को को गाय के दूध में उबालकर पीने से. मानसिक रोग दूर होते हैं तथा शांति प्राप्त होती है. रुद्राक्ष को चंदन में मिलाकर इसका लेप मस्तिष्क पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलती है तथा स्नायु रोग दूर होते हैं.

रुद्राक्ष के अन्य उपचार | Rudraksha and other treatments

रुद्राक्ष स्त्री संबंधी रोग, त्वचा रोग तथा उदर संबंधी रोगों, गुर्दा, फेफड़े एवं पाचन क्रिया से संबंधी विकारों, मानसिक रोग, पक्षाघात, पीत, ज्वर, दमा-श्वास, यौन विकार आदि रोगों में शांति के लिलाभदायक होता है. मंदबुद्धि बच्चों के लिए तथा जिनकी वाक् शक्ति कमजोर हो उनके लिए चमत्कारी है. यह मधुमेह, नेत्र रोग, दृष्टि दोष, लकवा, अस्थिदुर्बलता तथा मिरगी आदि रोगों के शमन के लिए फायदेमंद है. हिस्टीरिया, अपस्मार दमा, गठिया, जलोदर, मंदाग्नि, कुष्ठ रोग, हैजा, अतिसार, में बहुत लाभदायक है. रुद्राक्ष रोगों से लड़ने में कवच का कार्य करते है, इसे धारण करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं