Sunday, December 30, 2012

पश्चिमी जगत में प्रचलित 22 राशियां


प्रस्तुति- फार्च्यून विजन एस्ट्रो 'विजय'


22 राशियों में से आपकी कौन-सी राशि है?
पश्चिमी जगत में प्रचलित 22 राशियां

वैज्ञानिकों ने हमारी आकाश गंगा को 88 तारामंडल (राशियों) में बांट रखा है और वेदों ने 27 नक्षत्रों में। संपूर्ण 88 राशियों का धरती पर प्रकाश पड़ता हैं, जिससे धरती पर थोड़ा ही सही पर परिवर्तन जरूर होता है।

इन 88 में से भी 22 ऐसी राशियां हैं जिनको 12 माह में स्थान मिला है, अर्थात् उक्त राशियों निम्न समय में धरती के ऊपर से गुजरती हैं तो निश्चित ही उक्त समय में जन्म लेने वाले व्यक्ति की राशि वहीं होना चाहिए?

यहां प्रस्तुत है जापान और पश्चिमी जगत में प्रचलित 22 राशियों का परिचय।

1. इगल (Eagle): 14 जनवरी से 28 जनवरी तक।
2. डॉल्फिन (Dolphin) : 29 जनवरी से 8 फरवरी तक।
3. हंस : 9 फरवरी से 29 फरवरी तक।

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4. नदी (River) : 1 मार्च से 12 मार्च और 10 अप्रैल से 18 अप्रैल, 9 मई से 15 मई के बीच।
5. काव्य उमंग (Pegasus) : 13 मार्च से 1 अप्रैल।
6. एंड्रोमेडा (Andromeda) एक जापानी वृक्ष का नाम : 2 अप्रैल से 9 अप्रैल, 19 अप्रैल से 8 मई।

7. पेर्सेउस (Perseus) एक ग्रीक देवता का नाम : 16 मई से 31 मई तक।
8. मृग नक्षत्र (Orion): 1 जून से 7 जून और 17 जून से 27 जून के बीच।
9. सारथी (Charioteer) : 8 जून से 16 जून।

10. कुत्ता (Dogs) : 28 जून से 7 जुलाई और 18 जुलाई 25 जुलाई तक।
11. आर्गनॉट (घोंघा) के पोत (Ship of the Argonauts) : 8 जुलाई से 17 जुलाई तक और 22 सितंबर से 28 सितंबर तक।
12. सपक्ष सर्प (The Dragon): 26 जुलाई से 7 अगस्त तक और 17 दिसंबर से 23 दिसंबर तक।

13. सप्तऋषि (The Great Bear) : 8 अगस्त से 15 अगस्त 25 अगस्त से 10 सितंबर तक।
14. समुद्र नाग (The Sea Serpent or Hydra) : 16 अगस्त से 23 अगस्त तक।
15. प्याला (The Cup) : 11 सितंबर से 21 सितंबर तक।
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16. काला कौआ (The Raven, Corvus) : 29 सितंबर से 11 अक्टूबर तक।
17. रक्षक भालू (The Bear Keeper, Bootes, Herdsman) : 12 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक।
18. मुकुट (The Crown of the North Wind, Borealis) : 27 अक्टूबर से 10 नवंबर तक।

19. सांप (Serpent) : 11 नवंबर से 19 नवंबर और 24 दिसंबर से 28 दिसंबर तक।
20. बुद्धिमान किन्नर (The Wise Centaur) : 20 नवंबर से 5 दिसंबर तक।
21. सर्पधर (Ophiuchus) : 6 दिसंबर से 16 दिसंबर तक।
22. वीणा (The Lyre of Orpheus or Lyra): 29 दिसंबर से 13 जनवरी।

- प्रस्तुति फार्च्यून विजन एस्ट्रो 'विजय'

Thursday, November 8, 2012

अपने जीवन तथा भविष्य को बेह्तर कैसे बनाये ?

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Sunday, November 4, 2012

तिलक लगाने का महत्व :-



BY ASTROLOGER 

"SHRI KAUSHAL PANDEY" 

ON FACE BOOK


हिंदुत्व की असली पहचान है तिलक , तिलक लगाने से समाज में मस्तिस्क हमेशा गर्व से ऊँचा होता है , 

समाज में अपनी एक अलग पहचान बनानी हो तो करे आज से ही माथे पर तिलक और दूसरों को भी 

उत्साहित करे ,क्योंकी ये हमारे प्राचीन धर्म का गौरव है .. साथ ही हमारेवैष्णव संप्रदाय में तिलक को लगाने 

की परंपरा के पीछे यह बताया जाता है कि वैष्णव लोग तो श्री हरि के पदचिहों को अपने मस्तक पर धारण 


करते हैं। उनके मत में तिलक और कुछ नहीं, विष्णु के चरण चिन्ह ही हैं। तिलक का आकार अलग-अलग 

संप्रदायों ने अलग-अलग ढंग से प्रकट किया है, इसलिए कैसे भी तिलक करे लेकिन अवश्य करे ..

इसके पीछे आध्यात्मिक महत्व है। दरअसल, हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के 

भंडार हैं। इन्हें चक्र कहा जाता है। माथे के बीच में जहां तिलक लगाते हैं, वहां आज्ञाचक्र होता हैयह चक्र हमारे 

शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जहां शरीर की प्रमुख तीन नाडि़यां इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना आकर मिलती 

हैं, इसलिए इसे त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है। यह गुरु स्थान कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर का संचालन 

होता है। यही हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है। इसी को मन का घर भी कहा जाता है। इसी कारण यह 

स्थान शरीर में सबसे ज्यादा पूजनीय है। योग में ध्यान के समय इसी स्थान पर मन को एकाग्र किया जाता है.

तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि 


इसके कई वैज्ञानिक कारण भी हैं हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने 

अलग-अलग तिलक होते हैं। तंत्र शास्त्र में पंच गंध या अस्ट गंध से बने तिलक लगाने का बड़ा ही महत्व है , 

तंत्र शास्त्र में शरीर के तेरह  भागों पर तिलक करने की बात कही गई है, लेकिन समस्त शरीर का संचालन 

मस्तिष्क करता है, इसलिए इस पर तिलक करने की परंपरा अधिक प्रचलित है। तिलक लगाने में सहायक 

हाथ की अलग-अलग  अंगुलियों का भी अपना महत्व है।



क्या है मस्तक पर तिलक लगाने का महत्व..?


हमारे दोनों भोहों के मध्य में आज्ञाचक्र होता है, इस चक्र में सूक्ष्म द्वार होता है जिससे इष्ट और अनिष्ट दोनों ही

शक्ति प्रवेश कर सकती है, यदि इस सूक्ष्म प्रवेश द्वार को हम सात्त्विक पदार्थ का लेप एक विशेष रूप में दें तो 

इससे ब्रह्माण्ड में व्याप्त इष्टकारी शक्ति हमारे पिंड में आकृष्ट होती है और इससे हमारा अनिष्टकारी शक्तियों से 

रक्ष भी होती है | बिना तिलक धारण किए कोई भी पूजा-प्रार्थना शुरू नहीं होती है। मान्यताओं के अनुसार सूने 

मस्तक को शुभ नहीं माना जाता। माथे पर चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर या भस्म का तिलक लगाया जाता है।



किस अंगुली से लगाये माथे पर तिलक :-


अनामिका शांति दोक्ता, मध्यमायुष्यकरी भवेत्।

अंगुष्छठ:पुष्टिव:प्रोत्त, तर्जनी मोक्ष दायिनी।।

अर्थात्,  तिलक धारण करने में अनामिका अंगुली मानसिक शांति प्रदान करती है, मध्यमा अंगुली मनुष्य की 

आयु वृद्धि करती है, अंगूठा प्रभाव, ख्याति और आरोग्य प्रदान करता है, इसलिए विजयतिलकअंगूठेसे ही 

करने की परम्परा है। तर्जनी मोक्ष देने वाली अंगुली है। इसलिए मृतक को तर्जनी से तिलक लगाते हैं।

सामुद्रिकशास्त्र के अनुसार, अनामिका और अंगूठा तिलक करने में सदा शुभ माने गए हैं। अनामिका अंगुली 

सूर्य का प्रतिनिधित्व करती है। इसका अर्थ यह है कि साधक सूर्य के समान दृढ, तेजस्वी, निष्ठा-प्रतिष्ठा और 

सम्मान वाला बने। दूसरा अंगूठा है, जो हाथ में शुक्र क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह जीवनी शक्ति का 

प्रतीक है। इससे साधक के जीवन में शुक्र के समान ही नव जीवन का संचार होने की मान्यता है।

स्त्रीयों को गोल और पुरुषों को लम्बवत तिलक धारण करना चाहिए। तिलक लगाने से मन शांत रहता है। 

अनिष्टकारी शक्तियों से रक्षण होने के कारण और सात्विकता एवं देवत्व आकृष्ट होने के कारण हमारे चारों ओर 

सूक्ष्म कवच का निर्माण होता है। 



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Friday, November 2, 2012


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Ashutosh Joshi

( Astrologer, Vastu consultant, Gemologist & Palmist )

Friday, October 26, 2012

शरद पूर्णिमा २९ अक्टूबर २०१२ (सोमवार)

GOOD ARTICLE BY
SHREE ARVINDER SINGH
ON FACE BOOK 



शरद पूर्णिमा अश्विन मास में होती है. इसे रास पूर्णिमा भी कहते है और कोजागर पूर्णिमा भी. शरद ऋतु में आमतौर मौसम साफ़ रहता है. आकाश में न तो बादल होते है और न ही धूल के गुब्बार. पुरे वर्ष भर में केवल अश्विन मास की पूर्णिमा का चंद्रमा ही षोडस कलाओं (१६ कलाये) का होता है. कहा जाता है कि इस पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है. इस रात्रि में भ्रमण करना और चन्द्र किरणों का शरीर पर पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है. शरद पूर्णिमा की रात को ही भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज -बालाओं के साथ वृन्दावन में महारास किया था. 
इस पावन पर्व में क्या करे जिससे जीवन में खुशहाली आ सके. तो मै आप सब के लिए राशि के आधार पर कुछ बताने की कोशिश कर रहा हु..... 

मेष राशि - सबसे पहले कन्याओं को दूध - खीर खिलाये (कन्या कितनी भी हो सकती है) और मीठे चावल बनाकर, उसमे देसी घी डालकर पक्षियों को दें, लाभ होगा.

वृषभ राशि - दही (दही भी अगर गौ दुग्ध की हो तो उत्तम) और गाय का घी मंदिर में दान करें, लाभ होगा. 

मिथुन राशि - व्रत रख सकते है व एक समय भोजन करें, संध्या समय श्री सत्य नारायण कथा करे या करवाए. दूध - चावल का दान करें. (दूध - चावल कितना भी हो सकता है) लाभ होगा.

कर्क राशि - इस दिन से शुरू करते हुए, लाल चंदन का तिलक माथे पर लगाएं. मिश्री मिला हुआ दूध धार्मिक स्थल में दान दे. लाभ होगा.

सिंह राशि - संध्या समय तुलसी जी के पौधे के पास गाय के घी का दीपक प्रज्ज्वलित करके उसमे दो लौंग डाल दे और जाने - अनजाने में जो गलतियाँ हो गयी है, उनके लिए माफ़ी मांगे और प्रणाम करके सुख शांति का निवेदन करे. धार्मिक स्थल में गुड़ का दान करें. लाभ होगा.

कन्या राशि - इस दिन से शुरू करते हुए माथे पर गोपीचंदन का तिलक लगायें और ९ साल तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाये. लाभ होगा.

तुला राशि - भगवान् श्री कृष्ण जी की अराधना करें, उनको धूप-दीप के साथ माखन - मिश्री का भोग लगाये और धार्मिक स्थल में दूध, चावल व घी का दान दें. लाभ होगा.

वृश्चिक राशि - इस दिन से शुरू करते हुए, ४० दिन लगातार पीपल वृक्ष के समक्ष धूप-दीप के साथ तिल के तेल का दीपक अर्पित करे और मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करे (ये पंडित जी को देना है, जो संकल्प करवा कर लेंगे) तथा ९ साल तक की कन्याओं को दूध - चांदी का दान दें. लाभ होगा.

धनु राशि - इस दिन श्री राधाकृष्ण जी का जहा भी मंदिर हो, वहा पर उनकी मूर्ति के सामने तुलसी जी का पौधा एवं गंगाजल रख कर, धूप-दीप के साथ माखन मिश्री का भोग लगाकर, माफ़ी मांग कर घर वापस आ जाए. धार्मिक स्थल में सवा किलो चने की दाल, सवा मीटर पीले कपड़े में रख कर दान दें. लाभ होगा.

मकर राशि - इस दिन से शुरू करते हुए, ४० दिन लगातार परिवार के सब सदस्यों के साथ, श्री हनुमान बाबा जी के मंदिर जायें, वहा पर धूप-दीप के साथ गुड की मीठी - मोटी रोटी अर्पित करे. ५ बार हनुमान चालीसा का पाठ करे. माफ़ी मांग कर घर वापस आ जाए. सवा किलो चावल साफ़ चलते पानी में बहा दे, संकल्प के साथ. लाभ होगा.

कुम्भ राशि - इस दिन से शुरू करते हुए, ४० दिन श्री हनुमान बाबा जी के मंदिर में लाल चंदन का दान करें, धूप-दीप ज़रूर अर्पित करे और ५ बार हनुमान चालीसा का पाठ कर, घर वापस आ जाए. १० अन्धो को खाना खिलाना विशेष रहेगा. सिर्फ खाना ही खिलाना है, रूपये - पैसे नहीं देने है. लाभ होगा.

मीन राशि - इस दिन बाबा श्री हनुमान जी को चोला अर्पित करे और ब्राह्मणों को जितना हो सके भोजन करवाए और उचित दान दक्षिणा के साथ विदा करे. 

इस दिन हर राशि के व्यक्ति, प्रातः १० बजे पीपल जी की जितनी सेवा हो सके, करे.. क्यूंकि १० बजे माता लक्ष्मी जी का एक बार फेरा ज़रूर लगता है. ऐसा शास्त्रों में कहा है. पूरी रात भर अगर जागरण कर सकते है तो बहुत ही उत्तम होगा.
भगवान् शिव जी का रुद्राभिषेक करवाए उत्तम है, उनको खीर का भोग लगाये. 

दान देने वाली जितनी भी चीज़े बताई है, वो आप सब किसी गरीब को दे सकते है या फिर ज़रूरतमंद को दे सकते है या फिर सिद्ध श्री शिव मंदिर में जाकर भी दान कर सकते है. 

Tuesday, October 23, 2012

कन्या रूप पूजनीय क्यों?


GOOD ARTICLE BY
PT. SHREE ASHU BAHUGUNA 
ON FACE BOOK


हमारे धर्मग्रन्थों में कन्या-पूजन को नवरात्र-व्रतका अनिवार्य अंग बताया गया है। छोटी बालिकाओं में देवी दुर्गा 


का रूप देखने के कारण श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।



हिंदु धर्म में दो वर्ष की कन्या को कुमारी 
कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।

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तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति 
मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और स
ंपूर्ण परिवार का कल्याण होता है।

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चार वर्ष की कन्या कल्याणी 
के नाम से संबोधित की जाती है। कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है

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पांच वर्ष की कन्या रोहिणी 
कही जाती है। रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोग-मुक्त होता है।

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छ:वर्ष की कन्या कालिका 
की अर्चना से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।

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सात वर्ष की कन्या चण्डिका
के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है।

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आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी 
की पूजा से वाद-विवाद में विजय तथा लोकप्रियता प्राप्त होती है।

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नौ वर्ष की कन्या दुर्गा 
की अर्चना से शत्रु का संहार होता है तथा असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं।

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दस वर्ष की कन्या सुभद्रा 
कही जाती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होता है तथा लोक-परलोक में सब सुख प्राप्त होते हैं।.....





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Monday, October 22, 2012

विभिन्न प्रकार से सफलता प्राप्ति के उपाय

GOOD ARTICLE BY
VEEJAY ASTRO
ON FACEBOOK


शत्रु शमन के लिए :

साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू 

निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई 

कदमनहींउठाएगा।



अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए :

यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर अप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यहप्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है।

नजर उतारने के प्राचीन उपाय

1. नमक, राई, राल, लहसुन, प्याज के सूखे छिलके व सूखी मिर्च अंगारे पर डालकर उस आग को रोगी के ऊपर सात बार घुमाने से बुरी नजर का दोष मिटता है।

2. शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर प्रेमपूर्वक हनुमान जी की आराधना कर उनके कंधे पर से सिंदूर लाकर नजर लगे हुए व्यक्ति के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव कम होता है।

3. खाने के समय भी किसी व्यक्ति को नजर लग जाती है। ऐसे समय इमली की तीन छोटी डालियों को लेकर आग में जलाकर नजर लगे व्यक्ति के माथे पर से सात बार घुमाकर पानी में बुझा देते हैं और उस पानी को रोगी को पिलाने से नजर दोष दूर होता है।

4. कई बार हम देखते हैं, भोजन में नजर लग जाती है। तब तैयार भोजन में से थोड़ा-थोड़ा एक पत्ते पर लेकर उस पर गुलाब छिड़ककर रास्ते में रख दे। फिर बाद में सभी खाना खाएँ। नजर उतर जाएगी।

5. नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की सात पंखुड़ियाँ रखकर खिलाए। नजर लगा हुआ व्यक्ति इष्ट देव का नाम लेकर पान खाए। बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाएगा।

6. लाल मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों को मिट्‍टी के एक छोटे बर्तन में आग लेकर जलाएँ। ‍िफर उसकी धूप नजर लगे बच्चे को दें। किसी प्रकार की नजर हो ठीक हो जाएगी।


नज़र बाधा

1. आप अपने नए मकान को बुरी नजर से बचाना चाहते हैं तो मुख्य द्वार की चौखट पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधकर लटकाने से समस्त ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

2. यदि आपने कोई नया वाहन खरीदा है और आप इस बात से परेशान हैं कि कुछ न कुछ रोज वाहन में गड़बड़ी हो जाती है। यदि गड़बड़ी नहीं होती तो दुर्घटना में चोट-चपेट लग जाती है औरबेकार के खर्च से सारी अर्थ-व्यवस्था चौपट हो जाती है। अपने वाहन पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधने से आप इस बुरी नजर से बच सकेंगे, करके परेशानी से मुक्त हो जाएं।

3. यदि आपके घर पर रोज कोई न कोई आपदा आ रही है। आप इस बात को लेकर परेशान हैं कि कहीं किसी ने कुछ कर तो नहीं दिया। ऐसे में आपको चाहिए कि एक नारियल को काले कपड़े मेंसिलकर घर के बाहर लटका दें।

4. मिर्च, राई व नमक को पीड़ित व्यक्ति के सिर से वार कर आग में जला दें। चंद्रमा जब राहु से पीड़ित होता है तब नजर लगती है। मिर्च मंगल का, राई शनि का और नमक राहु का प्रतीक है। इन तीनों को आग (मंगल का प्रतीक) में डालने से नजर दोष दूर हो जाता है। यदि इन तीनों को जलाने पर तीखी गंध न आए तो नजर दोष समझना चाहिए। यदि आए तो अन्य उपाय करने चाहिए।

टोटका तीन-यदि आपके बच्चे को नजर लग गई है और हर वक्त परेशान व बीमार रहता है तो लाल साबुत मिर्च को बच्चे के ऊपर से तीन बार वार कर जलती आग में डालने से नजर उतर जाएगी और मिर्च का धचका भी नहीं लगेगा।

5. यदि कोई व्यक्ति बुरी नजर से परेशान है तो कि शनिवार के दिन कच्चा दूध उसके ऊपर से सात बार वारकर कुत्ते को पिला देने से बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाता है।

6. यदि कोई व्यक्ति बुरी नजर से परेशान है तो कि मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाकर उनके कन्धे से सिन्दुर लेकर नजर लगे व्यक्ति के माथे पर यह सोचकर तिलक कर दें कि यह नजर दोष से मुक्त हो गया है।

दिमाग से चिन्ता हटाने का टोटका

अधिकतर पारिवारिक कारणों से दिमाग बहुत ही उत्तेजना में आजाता है,परिवार की किसी समस्या से या लेन देन से,अथवा किसी रिस्तेनाते को लेकर दिमाग एक दम उद्वेलित होने लगता है,ऐसा लगने लगता है कि दिमाग फ़ट पडेगा,इसका एक अनुभूत टोटका है कि जैसे ही टेंसन हो एक लोटे में या जग में पानी लेकर उसके अन्दर चार लालमिर्च के बीज डालकर अपने ऊपर सात बार उबारा (उसारा) करने के बाद घर के बाहर सडक पर फ़ेंक दीजिये,फ़ौरन आराम मिल जायेगा।

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7. यदि आपके बच्चे को बार-बार नजर लग जाती है तो आपको चाहिए कि आप उसके गले में रीठे का एक फल काले धागे में उसके गले में पहना दें।

8. यदि आप नजर दोष से मुक्त होना चाहते हैं तो सूती कोरे कपड़े को सात बार वारकर सीधी टांग के नीचे से निकालकर आग में झोंक दें। यदि नजर होगी तो कपड़ा जल जाएगा व जलने की बदबू भी नहीं आएगी। यह प्रयोग बुधवार एवं शनिवार को ही कर सकते हैं।

9. टोटका नौ-यदि कोई बच्चा नजर दोष से बीमार रहता है और उसका समस्त विकास रुक गया है तो फिटकरी एवं सरसों को बच्चे पर से सात बार वारकर चूल्हे पर झोंक देने से नजर उतर जाती है। यदि यह सुबह, दोपहर एवं सायं तीनों समय करें तो एक ही दिन में नजर दोष दूर हो जाता है।

घर से पराशक्तियों को हटाने का टोटका

एक कांच के गिलास में पानी में नमक मिलाकर घर के नैऋत्य के कोने में रख दीजिये,और उस बल्ब के पीछे लाल रंग का एक बल्व लगा दीजिये,जब भी पानी सूख जाये तो उस गिलास को फ़िर से साफ़ करने के बाद नमक मिलाकर पानी भर दीजिये।

बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :

1-एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !

2- प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी कुत्ते को शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !

3- यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा !

4- सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिर माता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आ जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।

ससुराल में सुखी रहने के लिए :

1- कन्या अपने हाथ से हल्दी की 7 साबुत गांठें, पीतल का एक टुकड़ा और थोड़ा-सा गुड़ ससुराल की तरफ फेंके, ससुराल में सुरक्षित और सुखी रहेगी।

2- सवा पाव मेहंदी के तीन पैकेट (लगभग सौ ग्राम प्रति पैकेट) बनाएं और तीनों पैकेट लेकर काली मंदिर या शस्त्र धारण किए हुए किसी देवी की मूर्ति वाले मंदिर में जाएं। वहां दक्षिणा, पत्र, पुष्प, फल, मिठाई, सिंदूर तथा वस्त्र के साथ मेहंदी के उक्त तीनों पैकेट चढ़ा दें। फिर भगवती से कष्ट निवारण की प्रार्थना करें और एक फल तथा मेहंदी के दो पैकेट वापस लेकर कुछ धन के साथ किसी भिखारिन या अपने घर के आसपास सफाई करने वाली को दें। फिर उससे मेहंदी का एक पैकेट वापस ले लें और उसे घोलकर पीड़ित महिला के हाथों एवं पैरों में लगा दें। पीड़िता की पीड़ा मेहंदी के रंग उतरने के साथ-साथ धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।

पति-पत्नी के बीच वैमनस्यता को दूर करने हेतु :

1. रात को सोते समय पत्नी पति के तकिये में सिंदूर की एक पुड़िया और पति पत्नी के तकिये में कपूर की २ टिकियां रख दें। प्रातः होते ही सिंदूर की पुड़िया घर से बाहर फेंक दें तथा कपूर को निकाल कर उस कमरे जला दें।

पति को वश में करने के लिए :

2- शनिवार की रात्रि में ७ लौंग लेकर उस पर २१ बार जिस व्यक्ति को वश में करना हो उसका नाम लेकर फूंक मारें और अगले रविवार को इनको आग में जला दें। यह प्रयोग लगातार ७ बार करने से अभीष्ट व्यक्ति का वशीकरण होता है।

3- अगर आपके पति किसी अन्य स्त्री पर आसक्त हैं और आप से लड़ाई-झगड़ा इत्यादि करते हैं। तो यह प्रयोग आपके लिए बहुत कारगर है, प्रत्येक रविवार को अपने घर तथा शयनकक्ष में गूगल की धूनी दें। धूनी करने से पहले उस स्त्री का नाम लें और यह कामना करें कि आपके पति उसके चक्कर से शीघ्र ही छूट जाएं। श्रद्धा-विश्वास के साथ करने से निश्चिय ही आपको लाभ मिलेगा।

घर की कलह को समाप्त करने का उपाय

रोजाना सुबह जागकर अपने स्वर को देखना चाहिये,नाक के बायें स्वर से जागने पर फ़ौरन बिस्तर छोड कर अपने काम में लग जाना चाहिये,अगर नाक से दाहिना स्वर चल रहा है तो दाहिनी तरफ़ बगल के नीचे तकिया लगाकर दुबारा से सो जाना चाहिये,कुछ समय में बायां स्वर चलने लगेगा,सही तरीके से चलने पर बिस्तर छोड देना चाहिये।



परिवार में शांति बनाए रखने के लिए :

बुधवार को मिट्टी के बने एक शेर को उसके गले में लाल चुन्नी बांधकर और लाल टीका लगाकर माता के मंदिर में रखें और माता को अपने परिवार की सभी समस्याएं बताकर उनसे शांति बनाए रखने की विनती करें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक करें, परिवार में शांति कायम होगी।

सफलता प्राप्ति के लिए :

1. किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें। मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्त होती है।

2॰ किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य ही कार्य में सफलता मिलती है।

3॰ अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें। उसपर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें : `ॐ श्री हनुमते नम:´। 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं। काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।

4 चुटकी भर हींग अपने ऊपर से वार कर उत्तर दिशा में फेंक दें। प्रात:काल तीन हरी इलायची को दाएँ हाथ में रखकर “श्रीं श्रीं´´ बोलें, उसे खा लें, फिर बाहर जाए¡

प्रातः सोकर उठने के बाद नियमित रूप से अपनी हथेलियों को ध्यानपूर्वक देखें और तीन बार चूमें। ऐसा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। यह क्रिया शनिवार से शुरू करें।



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विशेष - लेखक के विचारों से इस ब्लॉगर का सहमत होना जरूरी नही है. पाठक इन प्रयोगों को स्व्यं कि जिम्मेवारी  पर कर सकते है.