Thursday, February 23, 2012

नव ग्रहों के सरल उपाय

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BY MR.KAUSHAL PANDEY ON FACE BOOK

नव ग्रहों के सरल उपाय :- 


इन्शान का जब भाग्य साथ न दे रहा हो और बुरे दिन चल रहे होते है तो सभी दिन भरी लगते है , वैदिक उपाय के द्वारा आप अपनी जन्म कुंडली के माध्यम से बुरे ग्रहों का ४१ दिन तक उपाय करे , इश्वर जरुर आप को कामयाबी देगा , कुंडली में जो ग्रह अशुभ है , उस ग्रह से सम्बंधित वस्तु का दान करे , या मंत्र जाप करे ,आइये देखते है किस ग्रह का क्या उपाय करे :- 

१- सूर्य के लिए उपाय : ऊँ घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का जप करें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। सूर्य को प्रतिदिन ताम्र पात्र से जल दें। तांबे का कड़ा पहनें। लाल चंदन का तिलक लगायें। गाय को जल में भीगे गेहूं खिलायें। किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।

२- चंद्रमा के उपाय : ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करें। ऊँ नमः शिवाय का जप करें। सोमवार को गाय को बताशे खिलायें। चांदी का कड़ा या छल्ला पहनें। चंदन का तिलक लगायें। शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ायें। सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक लीगई वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।

३- मंगल के उपाय : ऊँ अं अंगारकाय नमः मंत्र का जप करें। हनुमान चालीसा, बजरंग बान का पाठ करें। मंगलवार को गाय को गुड़ खिलायें। तांबे का कड़ा पहनें। लाल चंदन का तिलक लगायें। गरीब व्यक्तियों को मिठाई बाटें।भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है।

४- बुध के उपाय : ऊँ बुं बुधाय नमः मंत्र का जप करें। बुधवार के दिन गणेश जी को बूंदी के लड्डू चढ़ायें। बुधवार को गाय को हरा चारा खिलायें। ऊँ गं गणपतये नमः का जप करें। अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है।

५- बृहस्पति के उपाय : ऊँ बृं बृहस्पते नमः मंत्र का जप करें। हल्दी की गांठ गले में पहनें। गुरुवार के दिन गाय को बेसन के लड्डू खिलायें। ब्राह्मणों की सेवा करें। अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।

६- शुक्र के उपाय : ऊँ शुं शुक्राय नमः मंत्र का जप करें। शुक्रवार के दिन गाय को खीर खिलायें। शुक्रवार के दिन गाय को बताशे खिलायें। चांदी का कड़ा पहनें। श्रीसूक्त का पाठ करें। नेत्रहीन व्यक्तियों की सेवा करें। अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।

७- शनि के उपाय : ऊँ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जप करें। शनिवार के दिन पीपल पर सरसों के तेल का दीपक जलायें। लोहे का छल्ला मध्यमा अंगुली में पहनें। उड़द की दाल के बड़े गाय को खिलायें। बुजुर्ग व्यक्तियों को भोजन करायें। सरसों के तेल का परांठा कुत्ते को खिलायें। ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देव अशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।

८- राहु के उपाय : ऊँ रां राहवे नमः मंत्र का जप करें। पक्षियों को दाना खिलायें। दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मंदिर में नारियल चढ़ायें।राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल ‍दुखाने से, बड़े भाई को कष्ट देने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करने से राहु अशुभ फल देता है।

९- केतु के उपाय : ऊँ कें केतवे नमः का जप करें। मछलियों को भोजन दें। ऊँ गं गणपतये नमः का जप करें। गणेश जी को लड्डू चढ़ायें। भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनका हक ‍छीनने पर केतु अशुभ फल देना है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।

Monday, February 20, 2012

त्रयोदशी व चतुदर्शी का बहुत शुभ व फलदायी विलक्षण संयोग

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BY MR. MANISH JAIN- ON FACE BOOK -


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ज्योतिषीय दृष्टि से चतुदर्शी (1+4) अपने आप में बड़ी ही महत्वपूर्ण तिथि है। इस तिथि के देवता भगवान शिव हैं। जिसका योग 5 हुआ अर्थात्‌ पूर्णा तिथि बनती है, साथ ही कालपुरुष की कुण्डली में पांचवां भाव भक्ति का माना गया है। 

इस व्रत में रात्रि जागरण व पूजन का बड़ा ही महत्व है। 

इसके पश्चात्‌ सुगंधित पुष्प, गंध, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप-दीप, भांग, नैवेद्य आदि द्वारा रात्रि के चारों पहर में पूजा करनी चाहिए। 

श्रद्धा व विश्वासपूर्वक किसी शिवालय में या फिर अपने ही घर में उपरोक्त सामग्री द्वारा पार्थिव पूजन करना चाहिए। यह पूजन प्रत्येक पहर में करने का महत्व है। पूजन के समय 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जप करना चाहिए। 

हे देवों के देव!
हे महादेव!
हे नीलकण्ठ!
हे विश्वनाथ!
हे आदिदेव!
हे उमानाथ!
हे काशीपति! आप हमारे हर विघ्नों का नाश करें!!! 

इस व्रत में त्रयोदशी-चतुर्दशी तिथि साथ मानी जाती है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव इस ब्रह्मांड के संहारक व तमोगुण से युक्त हैं। जो महाप्रलय की बेला में तांडव नृत्य करते हुए अपने तीसरे नेत्र से ब्रह्मांड को भस्म कर देते हैं। जो कालों के भी काल यानी महाकाल हैं। जहां सभी काल (समय) या मृत्यु ठहर जाते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड की गति वहीं स्थित या समाप्त हो जाती है। 

रात्रि की प्रकृति भी तमोगुणी है, इसीलिए इस पर्व को रात्रि-काल में मनाया जाता है। इसी प्रकार मास शिवरात्रि का व्रत भी है जो चैत्रादि सभी महीनों की कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है। इस व्रत में रात्रि तक रहने वाली चतुर्दशी तिथि का बड़ा ही महत्व है। 

अतः त्रयोदशी व चतुदर्शी का विलक्षण संयोग बहुत शुभ व फलदायी माना जाता है। यदि आप मासिक शिवरात्रि व्रत रखना चाह रहें हैं तो इसका शुभारंभ दीपावली या मार्गशीर्ष मास से करें तो शुभ रहता है।

शिवरात्रि के दिन पूजा -राशि अनुसार

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BY - Astrologer... Rajesh Nayak..mobile no 09835434568...08809738768 ON FACE BOOK

जानें इस शिवरात्रि पर हर मन्नत पूरी करने के लिए किस राशि के लोग क्या करें? किस्मत चमकाने के लिए आपको अपनी राशि अनुसार शिव पूजा करनी चाहिए? ऐसी पूजा शिवरात्रि के दिन होती है जिसमें राशि अनुसार भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर रूद्रभिषेक का बहुत महत्व माना गया है एवं इस पर्व पर रूद्रभिषेक करने से सभी रोग और दोष समाप्त हो जाते हैं। इस शिवरात्रि पर अगर आप अपनी राशि के अनुसार रूद्रभिषेक करें तो आपको विशेष फल प्राप्त होगा।

मेष- इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। या कुमकुम के जल से अभिषेक करें।

वृष- इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव का अभिषेक शुभ फल देता है। 

मिथुन- इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव अभिषेक करें तो जल्दी ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
कर्क- इस राशि के शिवभक्त अपनी राशि के अनुसार घी या दूध से अभिषेक करें। 

सिंह- सिंह राशि के व्यक्ति लाल चंदन के जल से शिव जी का अभिषेक करें।

कन्या- इस राशि के व्यक्तियों को अपने अनुसार अनेक तरह की औषधियों से अभिषेक करनl चाहिए इससे आपके सभी रोग खत्म हो जाएंगे।

तुला- इस राशि के जातक घी और इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें


वृश्चिक- शहद से शिव जी का अभिषेक वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। 

धनु- इस राशि के जातकों को दूध में हल्दी मिलाकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। 

मकर- आप अपनी राशि के अनुसार तिल्ली के तेल से शिव जी का अभिषेक करें तो आपको हर काम में सफलता मिलेगी। 

कुंभ- इस राशि के व्यक्तियों को नारियल के पानी या सरसों के तेल से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।

मीन- इस राशि के जातक दूध में केशर मिलाकर शिव जी का अभिषेक करें।


Thursday, February 16, 2012

कैसे करे अपने भाग्य को बलवान

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BY KAUSHAL PANDEY ON FACE BOOK

कैसे करे अपने भाग्य को बलवान :


हमारे ऋषि मुनियों ने ज्योतिष के माध्यम से जटिल से जटिल समस्या का निवारण बताया है .. ज्योतिष सिर्फ बता सकती है और उसके बताये मार्ग पर अगर आप चलते है , तो लाभ ही होगा हानी नहीं, ज्योतिष के द्वारा कुंडली में जो ग्रह अशुभ है उन्हें आप अपने अच्छे कर्मो से सुधार सकते है , कुछ व्यक्ति जन्म से भाग्यवान होते हैं, जबकि कुछ कर्म से स्वयं को भाग्यवान बनाते हैं। वही कुछ का भाग्य विवाह के बाद ही खुलता है। मानसागरी के अनुसार सूर्य 22वें, चन्द्रमा 24वें, मंगल 28वें, बुध 32वें, गुरु 16वें, शुक्र 27वें शनि 32 या 36वें वर्ष में भाग्योदय करता है।



रत्नों के द्वारा करे अपने भाग्य को बलवान :- ज्योतिष में बारह राशिया है और सभी राशियों के अपने ग्रह है कौन सा ग्रह आप के भाग्य स्थान में है , आप उस ग्रह का रत्न धारण कर के उसे बलवान बना सकते है , कुंडली में नवें भाग्य स्थान पर मेष अथवा वृश्चिक राशि लिखी हो, उस व्यक्ति का भाग्येश मंगल होता है। ऐसे व्यक्तियों को भाग्योदय के लिए मूंगा रत्न धारण करना चाहिए। इसी प्रकार यदि जन्मकुंडली में नौवें भाग्य स्थान पर वृष अथवा तुला राशि हो, तो भाग्येश शुक्र का रत्न हीरा व्यक्ति का भाग्योदय करता है। मिथुन अथवा कन्या राशि भाग्य स्थान पर अंकित हो, तो व्यक्ति का भाग्योदय बुध का रत्न पन्ना से होता है। भाग्य स्थान पर कर्क राशि होने से चंद्रमा का रत्न मोती भाग्योदय का कारण बनता है और भाग्य स्थान पर सिंह राशि होने पर सूर्य का रत्न माणिक्य व्यक्ति को सफलता की ऊंचाईयों तक ले जाता है।



जिन व्यक्तियों की कुंडली में भाग्य स्थान पर मकर या कुंभ राशि अंकित हो, उन्हें शनि की शुभाशुभ स्थिति को ध्यान में रखकर भाग्योदय हेतु नीलम धारण करना चाहिए। धनु अथवा मीन राशियां भाग्य स्थान पर हों, तो पुखराज पहनकर व्यक्ति अपने भाग्य को बलवान कर सकता है।

इसके अलावा जिसकी जन्मपत्रिका में भाग्येश अष्टम, छठे अथवा बारहवें स्थान पर हो, तो ज्योतिष शास्त्र अनुसार ऐसे व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता है। इसलिए भाग्यशाली जीवन निर्माण करने के लिए भाग्य संबंधित रत्न उस व्यक्ति को धारण करना चाहिए। ताकि उसका सौभाग्य प्रकट हो सके।

नोट :- कृपया ज्योतिषी से उचित परामर्श ले कर ही रत्न धारण करे ...www.shreepadgems.com


Monday, February 6, 2012

२0 फरवरी 12 - महाशिव्रात्रि

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Mahashivratri (20.02.2012) - Warship of God Shiv - Shankar for health & Wealth

शिवमहिमा का महत्व
(२0 फरवरी 12, महाशिवरात्रि पर विशेष)

आलेख - आशुतोष जोशी


इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व २0 फरवरी 12 को आ रहा हैं, यह वह पर्व हैं जब हम सब देवों के देव महादेव याने भोले शंकर भगवान की पूजा अर्चना करके अपने जीवन को सुख - समृद्ध बनाने की प्रार्थना करते है। शास्त्रों में निहित पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो अन्य देवताओं के संकटों को भी हर लेते है। अतः उन्हें महादेव कहा जाता हैं। महादेव शिव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सृष्टिकर्ता हैं। आज इस पावन पर्व पर भगवान भोलेनाथ के संबंध में मुखय बातें नीचे दी जा रही है। जिसके द्वारा भगवान शंकर के भक्तजन विशेष पर्व पर विशेष लाभ ले सकें।


इस वर्ष २0 फरवरी को प्रातः काल स्नान आदि के बाद शिवलिंग पूजा व उपवास का सर्वकार्य सिद्धि हेतु विशेष महत्व है। बेल पत्र, दूध मिश्रित जल, धतूरे का फल, सफेद पुष्प, सफेद मिठाई या मिश्रि, रुद्राक्ष, सफेद चंदन, भांग, गाय का घी आदि शिवलिंग पूजा में विशेष महत्व रखते है क्योंकि यह सब महादेव को अत्यंत प्रिय हैं।

महाशिवरात्रि के दिन गाय के कंडे को प्रज्जवलित करके घी व मिश्री के द्वारा पंचाक्षर मंत्र से हवन करके हवन की धुनी को संपूर्ण घर में घुमाने से सुख - समृद्धि शांति व सद्‌भावना में वृद्धि होती है।

यदि कन्या के विवाह में अनावश्यक विलंब हो रहा हो तो कन्या के माता - पिता मंदिर में जाकर १०८ बेल पत्रों से शिवलिंग की पूजा करें तथा उसके बाद ४० दिन तक घर में शिव आराधना करें, तो कन्या का विवाह जल्दी व अच्छे परिवार में होना निश्चित है।

शास्त्रों के अनुसार काल - सर्प दोष निवारण हेतु महाशिवरात्रि के दिन प्रातः चांदी या तांबे से बने नाग व नागिन के जोडे को शिवलिंग पर अर्पित कर दें।

महाशिवरात्रि क्रे दिन प्रातः पीपल के पेड की सरसों के तेल द्वारा प्रज्जवलित दिये से पूजा अर्चना करने से शनि दोष दूर होता है।

महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखकर चारों पहर पंचाक्षर मंत्र की एक रुद्राक्ष माला का जाप करने से दरिद्रता मिट जाती हैं।

(अष्टदरिद्र विनाशितलिंगम्‌ तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्‌। )