Friday, September 14, 2012

शनि अमावश्या के दिन करे दुखों का निवारण :- पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003


१५ सितम्बर 2012 को शनि अमावश्या है , शनिवार के दिन अमावश्या आने से उसे शनिस्चरी अमावश्या बोलते है यह भी शनि भक्तो के लिए किसी संयोग से कम नहीं है , इस समय शनिदेव व
ैसे भी तुला राशी में चल रहे है और अपनी सप्तम दृष्टी से मेष राशी को देख रहे है , जैसा की आप सभी जानते है शनि देव मकर और कुम्भ राशी के स्वामी है और तुला राशी में अपना शुभ प्रभाव और मेष राशी में अपना अशुभ प्रभाव देते है , इस लिए आज के दिन शनि देव के मन्त्रों का जाप करते हुए पीपल के पेड़ की १०८ परिक्रमा करे या शनि धाम की परिक्रमा करे .
जातक को अपने जन्म कुंडली में देखना चाहिये,यदि शनि चौथे,छठे,आठवें,बारहवें भाव मे किसी भी राशि में विशेषकर नीच राशि में बैठा हो,तो निश्चित ही आर्थिक,मानसिक,भौतिक पीडायें अपनी महादशा,अन्तर्दशा,में देगा,इसमे कोई सन्देह नही है,समय से पहले यानि महादशा,अन्तर्दशा,आरम्भ होने से पहले शनि के बीज मंत्र का अवश्य जाप कर लेना चाहिये.ताकि शनि प्रताडित न कर सके,और शनि की महादशा और अन्तर्दशा का समय सुख से बीते.याद रखें अस्त शनि भयंकर पीडादायक माना जाता है,चाहे वह किसी भी भाव में क्यों न हो.
मै राशी समन्धित गड़ना के खिलाफ हूँ क्योंकि शनि व्यक्ति के कर्मो के हिसाब से अपना शुभ या अशुभ फल देते है … कई बड़े बड़े ज्योतिषी है जो रोज सुबह टी वि में आप को रशियोंके बारे में बतायेगे .. छोटी मुह बड़ी बात नहीं कह सकता …
आप ने देखा होगा की कई लोग चौराहों पर बाल्टी में शनि देव को लिए चले आते है गलीयों में भी शनि शनि के नारे लगते है , ऐसे लोंगों को कभी भी दान नहीं करना चाहिए , क्योंकि वे लोग इकठ्ठा हुआ तेल दुबारा से दुकानों में बेच आते है और हमारा दान किया हुआ तेल हमारे ही घर में आ जाता है , शनि से इतना डर क्यों , शायद इसके जिमेद्दर हमारे जैसे ज्योतिषी ही है जो लोंगोंको शनि के नाम से डर पैदा कर देते है और मोटे चढ़ावे ले लेते है ,
ये कलियुग का प्रभाव ही है की आज हमारे श्री राम , कृष्ण , शिवजी , या हनुमान जी की पूजा शनि और साईं की तुलना में कम हो रही है जो ठीक नहीं है , शनि १ पापी ग्रह है इसकी शांति करनी चाहिए , आज जो सड़क दुर्घटनाएं ,हो रही है इसी का नतीजा है , हाइवे- सड़के खुनी हो गई है ये इसी का प्रभाव है इसके लिए बंरंग बाण का पाठ, पवनपुत्र हनुमान जी की पूजा जिन्होंने शनि को अपनी पूंछ में लपेटकर लंका तक घसीटा था , जिसके कारन शनि पर छाया दान या तेल चढ़ाया जाता है ..
मेरा ये लेख शायद शनि भक्तों को बुरा लेकिन मै वास्तविकता बता रहा हूँ ….
जिनकी कुंडली में शनि आशुभ है या जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन हो जाये , हर समय आलसी रहे , दुःखी, कम शक्तिवान, बार बार व्यापार में हानि उठाने वाला, जब शनि अशुभ फल देता है तो जातक नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला बन जाता है , उसका दिमाक अच्छे कार्यों को नहीं करता जिसके कारन उसे जुआ खेलने , मैच में सट्टा लगाने या खिलाने वाला बन जाता है ,ऐसे जातक को कब्ज का रोगी, जोड़ों में दर्द से पीड़ित, वहमी , नास्तिक या बुरे कर्मो को करने वाला , बेईमान- धोखेबाज तिरस्कृत और अधर्मी बनता है , ऐसे जातक निम्न उपाय करे ..
शनि ग्रह का उपाय …
एक समय में केवल एक ही उपाय करें.उपाय कम से कम 40 दिन और अधिक से अधिक 43 दिनो तक करें.यदि किसी करणवश नागा हो तो फिर से प्रारम्भ करें., यदि कोइ उपाय नहीं कर सकता तो खून का रिश्तेदार ( भाई, पिता, पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है.–
१- ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे ,
२-हनुमान जी की पूजा करे , बंरंग बाण का पाठ करे ,
३- पीपल को जल दे अगर ज्यादा ही शनि परेशां करे तो शनिवार के दिन शमसान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाये ,
४-सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्डह में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये .
५-शनि के मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। या शनिवार को शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का २३,००० जाप करे .
६- उडद के आटे के 108 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा ,
७-बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं देगा ,
८- श्रद्धा भाव से काले घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें या शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें,
९- शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं –काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।
१०-शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
११- गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चहिए.
१२-शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए ) खाने के लिए डाले ,
१३-ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने से कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
१४- बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है,



अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं.,माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे ,अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.





पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे,गाय और कुत्ता पालें, यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें. अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे,यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी .गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा बरक्कत रहेगी.





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