Saturday, August 16, 2014

श्रीकृष्ण पूजा के छोटे से टिप्स: मिलेगा आनंद, सुख और सौभाग्य


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भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला किसी इंसान को उसकी गुण और शक्तियों को पहचान उनके जरिए सफलता पाने की प्रेरणा व संदेश देती हैं। शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति आनंद, सुख और सौभाग्य देने वाली ही मानी गई है। श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया कर्मयोग भी कलह और दु:खों से बचने का सबसे बेहतर और बेजोड़ सूत्र है। 
भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण या उनके अवतारों की भक्ति से ही हर कलह दूर करने और सरस, सहज, सौभाग्यशाली और सफल जीवन के लिए पूर्णिमा तिथि का भी खास महत्व है। इसी कड़ी में आज कार्तिक पू्र्णिमा के लिए जानिए सौभाग्य की कामना से 3 आसान श्रीकृष्ण मंत्र स्मरण व पूजा का आसान तरीका - 
- सुबह भगवान श्रीकृष्ण को गंगाजल और पंचामृत स्नान कराएं।
- स्नान के बाद गंध, सुगंधित फूल, अक्षत, पीले वस्त्र चढ़ाएं।
- श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
- सुगंधित धूप और दीप प्रज्जवलित कर नीचे लिखे कृष्ण मंत्रों का आस्था से  सौभाग्य व कलहनाश की कामना से स्मरण या जप करें –
ॐ नमो भगवते गोविन्दाय
ॐ  नमो भगवते नन्दपुत्राय
ॐ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम:
- मंत्र ध्यान के बाद भगवान कृष्ण या विष्णु की आरती करें। प्रसाद बांटे और ग्रहण करें। पूजा, आरती में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

5240 वर्ष के हो जाएंगे भगवान श्रीकृष्ण -जन्ममाष्टमी - 18-8-14

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krishna-janmashtami
जन-जन के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण इस वर्ष जन्ममाष्टमी पर 5240 साल के होने जा रहे हैं। पुराणों में वर्णित युग की आयु और धरती पर भगवान श्रीकृष्ण की मौजूदगी के साक्ष्यों के अनुसार ये गणना पंचागों से की गई है। इस बार विलक्षण संयोग के बीच भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर के अंत में जन्म लिया। ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी के अनुसार पंचांगों के अनुसार कलियुग के गुजरे अनुमानित 5114 वर्ष और द्वापर के अंत में भगवान श्रीकृष्ण की धरती पर मौजूदगी 125 वर्ष आंकी जाती है। ऐसे में इस बार भगवान श्रीकृष्ण 5239 वर्ष पूर्ण कर 5240 वें वर्ष में प्रवेश करेंगे।
इस बार द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय जिस तरह की नौ ग्रहों की स्थिति थी वैसे ही इस वर्ष छह ग्रहों का संयोग बन रहा है।
इसमें वर्षा ऋतु भाद्रपद कृष्ण पक्ष, वृष राशि का चंद्रमा, सिंह राशि का सूर्य, सिंह राशि का बुध, कर्क राशि में गुरु, राहु कन्या राशि के साथ केतु मीन राशि में मौजूद रहेगा। इसके अलावा मध्य रात्रि वृषभ लग्न भी रहेगा। जो द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म समय भी थी।