Thursday, May 31, 2012

वास्तु शास्त्र के अनुसार कौन सा चित्र कहाँ लगायें:::::::::

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**राजस्थानी फोटो में अधिकतर घड़े लेकर जाती हुयी महिलायों की फोटो रहता है ,कुवें से पानी भरती हुई फोटो ,समुद्र की फोटो ,झरने ,फव्वारे ,मछली ,कछुवे ,नाव,पानी का जहाज ,जलप्रपात,मछुवारे,नहर ,तालाब से सम्बन्धित कोई भी फोटो हो तो उसे घर के बैठक कक्ष /डाइनिंग/लिविंग के इशान ,उत्तर या पूर्वी दीवाल में स्थापित करें .


**कमरे का इशान कोण सम्पूर्ण समृद्धि देता है ,इशान कोण का तत्व जल है इसलिए इशान कोण में पानी से सम्बन्धित लोई भी चित्र लगा सकते है .


**पानी से सम्बन्धित चित्र जिसमें पहाड़ भी है उसे इशान कोण में भूलकर भी न लगायें .

**उत्तर दिशा से व्यापार/धन वृद्धि देखते हैं इसलिए व्यापारियों को उत्तर दिशा में जल से सम्बन्धित चित्र लगाना चाहिए .


**पूर्व दिशा से ज्ञान की वृद्धि होती है इसलिए पढ़ने लिखने वाले बच्चों को पूर्व में जल से सम्बन्धित चित्र लगाना चाहिए .


**शयन कक्ष के अंदर भूलकर भी पानी से सम्बन्धित चित्र न लगायें क्योकि पानी का चित्र पति पत्नी और वो की ओर इशारा करता है .


**बैठक/लिविंग/डाइनिंग कक्ष में दक्षिण और आग्नेय कोण में भूलकर भी पानी का चित्र न लगायें क्योंकि 



दक्षिण और अग्नि कोण का तत्व अग्नि है और दोनों एक दुसरे के परम विरोधी है .


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वास्तु शास्त्र से बीमारी को दूर भगाएं:::::---

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क्या घर के लोग हमेशा बीमार रहते हैं ....? क्या आपकी आधी कमाई डाक्टर और दवाई में चला जाता है ....? 


घर में बीमार लोगों को हमेशा पूर्व के शयन कक्ष में सुलाएं ......क्योकि पूर्व दिशा के शयन कक्ष में पूर्व दिशा से प्रात:काल आने वाली सूर्य की किरणे स्वस्थ वर्धक होती है ------सोते समय हमेशा पूर्व की ओर सर करके सोयें ....क्योंकि पूर्व दिशा से स्वास्थ को देखते हैं ......बीमार लोगों को दवाई खाते समय पूर्व की ओर मुंह करके दवाई खाना चाहिए.......शयन कक्ष के पूर्व में दवाई को रखें .......

::::वास्तु शास्त्र के अनुसार बीमारी की वजह::::------


१.दरवाजे की ठीक सामने बिस्तर न लगायें क्योंकि दरवाजे के ठीक सामने बिस्तर होने से स्वस्थ हमेशा ख़राब रहता है ,सनातन धर्म में अंतिम समय में मृतक को दरवाजे के पास सुलाते हैं जिससे आत्मा को वापस जाने में कोई रुकावट न हो 



२. नेरित्य कोण में स्थित बोर ,कुवाँ,सेप्टिक टेंक बीमारी की वजह हो सकती है 


३. आग्नेय कोण मे बोर ,सेप्टिक टेंक बीमारी की वजह हो सकती है ---


.इशान कोण में स्थित शौचालय ,किचन ,सेप्टिक टेंक,सीढ़ी बीमारी की वजह बनती है 


.पूर्व में स्थित सीढ़ी ,किचन,शौचालय,सेप्टिक टेंक से बीमारी होती है 
.हास्पिटल में मरीज को पूर्व दिशा में सर करके सुलाना चाहिए 



६. दक्षिण दिशा में सर करके सोंने से उम्र वृद्धि होती है इसलिए अंतिम समय अवस्था में पहुंचे मरीज को दक्षिण में सर करके सुलाना चाहिए 
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रोगमुक्त होने के सरल उपाय

FROM - PANDIT SHREE ASHU BAHUGUNA ON FACEBOOK 

निरोगी-देह सब चाहते हैं। निरोगी काया से संसार के सुखों को भोगा जा सकता है। इसिलिए कहा गया है कि पहला सुख निरोगी काया। यदि फिर भी परिवार में किसी को कोई रोग लग जाता है और अनेक उपचार करने के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा है तो निम्न उपायौं द्वारा रोगमुक्त हुआ जा सकता है।

1.रविपुष्य योग में हत्थाजोडी को लाकर एवं पंचामृत से स्त्रान कराकर लाल आसन पर स्थापित कर धूप दीप से पूजा करें। फिर सिंदूर भरी डिब्बी में रख लें। इससे वाणी के दोष और रोग नष्ट होते हैं। 


2. इमली का बांदा पुष्य नक्षत्र में लाकर दाएं हाथ में बांधने से देह का कंपन्न रोग दूर हो जाता है। 


3. लाल लटजीरा की टहनी से दातून करने पर दांत के रोग से छुटकारा मिलता है। यदि उसे दूध में डालकर पीतें हैं तो संतानोत्पत्ति की क्षमता बढती है। 


4. यदि घर में कोई बीमार रहता है तो शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से आटे के दो पेडे बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड और थोडी पिसी काली हल्दी को दबाकर गाय को खिलाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। 


5. रोग की अवस्था में घर की सभी घडियों को चालू हालत में रखें। 


6. पांवों का कैसा भी रोग हो सोलह दांत वाली पीली कौडी में सूराख करके बांध लें।


7. नींद न आने पर श्वेत घुंघची की जड को तकिए के नीचे रखकर सोएं। 


8. चक्कर आने की अवस्था में किसी भी रविवार या मंगलवार को गुलाबजल में 2 माशा गोरोचन पीसकर सेवन कर लें।


9. सुलेमानी रत्न को चांदी की अंगूठी में पहनने से स्मरणशक्ति का विकास होता है। 


10. छोटे-छोटे प्याजों की माला को गले में धारण करने से तिल्ली रोग का शमन हो जाता है।