Tuesday, November 11, 2014

किस माला से करें जप कि साधना सिद्ध हो जाए





साधनाओं के लिए विभिन्न प्रकार की मालाओं का प्रयोग किया जाता है। 
मुख्यतः यह मालाएं- रूद्राक्ष स्फटिक, हल्दी, कमलगट्टा, पुत्र जीवा, तुलसी, 
सफेद व लाल चन्दन, वैजन्ती 
तथा नवरत्न 
की बनी होती हैं।
रुद्राक्ष माला
यह माला शिव पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। तुलसी, चन्दन, स्वर्ण, मुक्ता, प्रवाल आदि की माला से करोड़ों गुना अधिक फल रूद्राक्ष माला पर जाप करने से प्राप्त होता है। हृदय रोग, ब्लड प्रेशर (रक्त चाप) आदि से यह रक्षा करती है, अकाल मृत्यु योग को टालने की अभूतपूर्व शक्ति इसमें है।
स्फटिक माला
यह माला शक्ति की प्रतीक लक्ष्मी-सरस्वती व दुर्गा जाप के लिये उत्तम है। गायत्री मंत्र के लिये भी यह सर्वोत्तम है। संक्षेप में देवी जाप के लिये स्फटिक माला के उपयोग से मंत्र शीघ्र सिद्ध होता है। यह आर्थिक स्थिति में सुधार लाती है। उच्च रक्त चाप के रोगियों को व क्रोध शान्ति के लिये यह माला अचूक है।
सफेद चन्दन की माला
इस माला का प्रयोग शान्तिपुष्टि कर्मों में व श्री राम, विष्णु व अन्य देवताओं की उपासना में होता है। इसके धारण करने से शरीर में ताजगी स्फूर्ति का संचार होता है।
लाल चन्दन की माला
देवी जाप के लिये यह सर्वोत्तम माला मानी गयी है। मंगल शान्ति के लिये लाल चन्दन की माला धारण करना लाभकारक है।
तुलसी माला
विष्णु प्रिय तुलसी की माला विष्णु अवतार राम व कृष्ण जी की उपासना हेतु सर्वाेत्तम है। शरीर व आत्मा की शुद्धि के लिये यह माला धारण करना उत्तम है।
मूगे की माला
मंगल ग्रह की शान्ति की लिये इसे धारण करना उपयुक्त है व हनुमान जी की साधना के लिये यह सर्वोत्तम है।
वैजयन्ती माला
वैष्णव भक्तों व लक्ष्मी जाप में प्रयोग की जाती है।
कमल गट्टे की माला
लक्ष्मी प्राप्ति व लक्ष्मी जाप के लिये सर्वोत्तम है।
पुत्र जीवा की माला
इसका प्रयोग संतान प्राप्ति के लिए की जाने वाली साधनाओं में होता है।
स्फटिक व रूद्राक्ष मिश्रित माला
रूद्राक्ष व स्फटिक माला शिवशक्ति का प्रतीक हैं। रूद्राक्ष लो ब्लड़ प्रेशर (निम्न रक्त चाप) को व स्फटिक हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्त चाप) को नियन्त्रित करता है अर्थात् दोनों में समन्वय बनाए रखता है। इस माला पर शिव व शक्ति दोनों का जाप किया जा सकता है।
रूद्राक्ष व सोने के दानों की माला
रूद्राक्ष के साथ सोने के दाने रूदाक्ष की शक्ति में कई गुना वृद्धि करते हैं। सोना सबसे शुद्ध धातु है। धारक को रूद्राक्ष के गुणों के साथ-साथ शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरत्न माला
यह नवग्रह की शान्ति के लिये धारण की जाती है, इससे मानसिक शान्ति की प्राप्ति होती है।
मोती माला
मोती की माला भाग्य-वृद्धि करती है। पुत्र प्राप्ति के लिये यह उत्तम है।
हल्दी की माला
बृहस्पति के व बगलामुखी के जाप केवल इसी माला पर कारगर हैं।





स्फटिक की माला: बिजनेस टारगेट अचीव करने के लिए

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्फटिक को धन की देवी लक्ष्मी जी का स्वरुप माना गया है, जिसे कंठ हार अर्थात माला के रूप में धारण किया जाता है।
स्फटिक निर्मल,रंगहीन, पारदर्शी और शीत प्रभाव रखने वाला उप-रत्न है। आयुर्वेद में स्फटिक का प्रयोग सभी प्रकार के ज्वर, पित्त प्रकोप, शारीरिक दुर्बलता एवं रक्त विकारों को दूर करने के लिए शहद अथवा गौ मूत्र के साथ औषधि के रूप में किया जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से स्फटिक को पूर्ण विधि-विधान और श्रद्धाभाव के साथ कंठ हार के रूप में धारण करते रहने से समस्त कार्यों में सफलता मिलने लगती है तथा विवाद और समस्याओं का अंत होने लगता है।
इसके अलावा स्फटिक की माला धारण करने से शत्रु भय भी नहीं रहता है। किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए घर से बाहर जाने से पहले यदि माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने के बाद स्फटिक की माला धारण करके जाया जाये तो वह कार्य आसानी से पूरा हो सकता है और उस कार्य में सफलता मिल सकती है। यदि घर-परिवार में किसी कारण से आर्थिक संकट चल रहा हो तो स्फटिक रत्न को गंगा जल से पवित्र करने के बाद मंत्रो से शुद्ध करके पूजा स्थल पर रखना शुभ होता है।
इसके साथ-साथ धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी जी के मन्त्र ‘ओउम श्री लक्ष्मये नम: ‘ का कम से कम एक माला जाप प्रतिदिन करना चाहिए। व्यापारिक प्रतिष्ठानों और दुकानों के स्वामी यदि पवित्र एवं मन्त्रों से सिद्ध की गयी स्फटिक की माला अथवा स्फटिक रत्न को अपनी धन रखने की तिजोरी में रखें तो आश्चर्यजनक रूप से व्यापार में लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, यह उपाय करते समय इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि जिस तिजोरी में स्फटिक माला अथवा रत्न रखा जाये उसका दरवाजा उत्तर दिशा में ही खुले। वैसे भी वास्तु शास्त्र के अनुसार धन रखने की तिजोरी सदैव दक्षिण दिशा में ही रखनी चाहिए जिससे कि जब उसे खोला जाये तो उसका दरवाजा या मुख उत्तर दिशा में ही खुले।



वशीकरण मंत्र



वशीकरण मंत्र

आचार्य चाणक्य कहते हैं की - 

लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमंजलिकर्मणा,

मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम्।।



 जो व्यक्ति धन का लालची है उसे पैसा देकर, 

घमंडी या अभिमानी व्यक्ति को हाथ जोड़कर, 

मूर्ख व्यक्ति को उसकी बात मान कर 
और 




विद्वान व्यक्ति को सच से वश में किया जा सकता !