Saturday, September 29, 2012

हनुमान जी की पूजा से शनि होते हैं अनुकूल


BY ASTRO-SHINE ON FACE BOOK

PHOTO BY SHREEPAD GEMS DOT COM



1. मान-सम्मान की प्राप्ति हेतु -

यदि संपूर्ण प्रयासों के बावजूद भी मान-सम्मान नहीं मिल रहा है, समाज में आप अपनी बात नहीं कह पा रहे हैं। करना जाते हैं अच्छा और बुरा हो जाता है। लोगों ने आपसे कहा है कि निजकृत कर्मों की वजह से आपका शनि अनुकूल नहीं है तो मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें और लगातार 40 दिन क
रें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत गीले कपड़ों में 9, 11 या 21 श्वेतार्क के पुष्प हनुमान जी के श्रीचरणों में अर्पित करें। अवश्य लाभ मिलेगा। हर रोज ऊँ हं पवननदनाय स्वाहा मंत्र की 5 माला का जाप करें।
2. चल-अचल संपत्ति हेतु-

लाख कोशिशें के बावजूद भी आप भूमि-भवन और वाहन की प्राप्ति नहीं कर पा रहे हैं। आपके पास धन है उसके बाद बावजूद भी आप संपत्ति नहीं खरीद पा रहे हो और किसी ने आपसे कहा है कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको लाभ देगी। किसी भी मंगलवार को यह पूजा प्रारंभ करें और लगातार 21 दिन तक करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत भगवान सूर्य को जल देने के बाद लाल कपड़े में श्रद्घानुसार मसूर की दाल बांधकर सुहागिन कर्मचारी महिला को दान में दे। हर रोज 9 माला ऊँ राम भक्ताय नम: इस मंत्र का जाप करें।

3. पारिवारिक सुख हेतु-

संपूर्ण मेहनत और परिश्रम के बावजूद भी पारिवारिक सदस्य एक साथ नहीं रह पा रहे हो, घर में हमेशा कलाह रहता हो, बाहर सब कुछ ठीक है और घर में प्रवेश करते ही आपस में टकराव हो जाता है और लोगों ने आपको भयभीत किया है कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको लाभ देगी। किसी भी मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। लगातार 43 दिन तक करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नान करने वाले जल में हल्दी की गांठ डालकर स्नान करें। ततपश्चात गीले वस्त्रों में भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। ऊँ कपिराजाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।

4. वाहन प्राप्ति हेतु-

संपूर्ण आर्थिक संपन्नता के बावजूद भी वाहन प्राप्ति में तकलीफ आ रही हो, लोगों ने आपको डराया हो कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपके लिए रामबाण रहेगी। किसी भी मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत 400 ग्राम साबूत मसूर गंगाजल से धोकर अपने ऊपर से 7 बार उसारकर बहते पानी में प्रवाह करें। साथ ही हनुमान जी के ऊँ नमो भगवते आन्ञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा। मंत्र 3 माला हर रोज करें।

5. संतान सुख हेतु

प्रयासों के बावजूद भी प्रयासों भी संतान आपके हाथ से निकल रही हो, आपकी बात नहीं मानती हो, संतान को सफलता नहीं मिल रही हो, संतान की शादी नहीं हो रही हो, संतान गलत राह पर चल रही हो तो हनुमान जी का यह उपाय आपके लिए राम बाण रहेगा। यह उपाय आप मंगलवार को प्रारंभ करें। लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत हनुमान जी की मूर्ति जो आशीर्वाद देते हुए नजर आती हो उसे 108 गुलाब के पुष्पों की माला अर्पित करें। वहीं बैठकर ऊँ वायु पुत्राय नम: मंत्र का जाप करें।

6. कोर्ट-कचहरी के मसलें निवारण हेतु-

ईमानदारी, मेहनत, परिश्रम और सच्चाई से काम करने के बावजूद भी कोई न कोई अड़चनें आपको परेशान करती हो और किसी ने आपसे कहा है कि जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह आराधना कष्ट मिटायेगी। मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत हनुमान जी के श्रीचरणों में ऊँ अग्निगर्भाय नम: मंत्र का जाप करते हुए 108 चुटकी सिंदूर अर्पित करें। अवश्य लाभ मिलेगा। ऐसा नियमित 40 दिन करें।
मंगलवार के दिन कन्याओं को श्रद्घानुसार चावल देना भी शुभ रहेगा।
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7.दांपत्य सुख हेतु-

वैवाहिक रिश्तों में बिना मतलब कड़वाहट रहती हो, बात-बात पर पति-पत्नी में झगड़ा हो जाता हो, और किसी ने आपसे कहा है कि आप दोनों की जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको अवश्य लाभ देगी। हर मंगलवार के दिन श्रद्घापूर्वक पंचोपचार पूजन करने के उपरांत मिट्टी के पात्र में शहद भरकर हनुमान जी के मंदिर में अर्पित करें। वहीं बैठकर शुद्घ लाल आसन पर ऊँ श्री हनुमते नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा 21 मंगलवार करें। अवश्य लाभ मिलेगा।

8. दुर्घटना निवारण हेतु-

यदि आपके साथ में बिना कारण ही दुर्घटना घट जाती है, बार-बार आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट होता हो, अनावश्यक भय बना रहता हो, और किसी ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह प्रयोग आपको अवश्य लाभ देगा। मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत हनुमान जी का ध्यान करते हुए अपने पूजा स्थान में चमेली के तेल का दीपक जलाएं। श्रद्घापूर्वक ऊँ हं हनमते रुद्रआत्मकाय हुं फट्। मंत्र का जाप करें। ततपश्चात 108 चमेली के पुष्प हनुमान जी के श्रीचरणों में अर्पित करें। ऐसा 11 मंगलवार करें।

9. शत्रु कष्ट निवारण हेतु-

बिना वजह दुश्मनों का डर सताता हो, हमेशा मन भयभीत रहता हो, और लोगों ने आपको भयभीत किया हो कि कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा करने से दुश्मन आपका बुरा नहीं कर पाएगा। किसी भी मंगलवार के दिन यह पूजा प्रारंभ करें। प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत माता-पिता के चरण स्पर्श करें। पारद हनुमत प्रतिमा के सामने लाल हकीक की माला पर हर रोज ऊँ नमो हनुमते रुदावताराय सर्व शत्रु संहाराणाय सर्व रोग हराय, सर्व वशीकरणाय राम दूताय स्वाहा मंत्र का जाप करने से अवश्य लाभ मिलेगा।

10. कार्य बाधा निवारण हेतु-

चलते काम में अचानक बाधा आती हो, चलता-चलता काम अचानक रुक जाता हो, व्यवसाय में बिना वजह परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो और लोगों ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की इस पूजा से संपूर्ण कष्टों का निवारण होता है। मंगलवार के दिन पूजा प्रारंभ करें। लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यक्रम से निवृत्त हो स्नानोपरांत दक्षिणावर्ती हनुमान जी की मूर्ति के सामने तेल का दीपक जलाएं। ततपश्चात गुड़ के चूरमे का भोग लगाएं। ऊँ नम: हरीमरकटमरकटाय स्वाहा इस मंत्र का 3 माला जाप करें। संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा।

11. कर्जें से मुक्ति हेतु-

लाख प्रयासों के बावजूद भी कर्जें से मुक्ति नहीं मिल पा रही हो और किसी ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल नहीं है, शनिदेव की वजह से कष्ट आ रहे हैं तो हनुमान जी की इस पूजा का करने से संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा। किसी भी मंगलवार के दिन लाल चंदन की हनुमान जी की प्रतिमा बनाकर, गंगाजल से पवित्र कर श्रद्घापूर्वक अपने पूजा स्थान में लाल वस्त्र पर स्थापित करें। हर रोज देसी घी का दीपक जलाकर 21 दिन तक 11 माला ऊँ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा। मंत्र का जाप करें। जाप के उपरांत 9 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को लाल वस्त्र का दान दें। संपूर्ण कष्टों से छुटकारा मिलेगा।

12. कारोबार में लाभ हेतु-

संपूर्ण प्रयासों के बावजूद भी कारोबार में लाभ नहीं मिल रहा हो, सारे प्रयास विफल हो रहे हो तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की यह आराधना प्रारंभ करें। और लगातार 40 दिन करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत सूर्योदय से पूर्व हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें। ततपश्चात शुद्घ चंदन का धूप जलाकर, घी का दीपक प्रज्जवलित कर एक पाठ सुंदरकांड का करें। पूजा के उपरांत मीठा भोजन गरीब व जरूरतमंद कन्याओं को कराएं।

13. रोग मुक्ति हेतु-

यदि प्रयासों के बावजूद भी रोगों से पीछा नहीं छुट रहा हो, डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आ रही हो, द वा काम नहीं कर रही हो और किसी ने आपसे कहा है कि आपकी जन्मकुंडली में निजकृत कर्मों की वजह से शनि अुनकूल फल प्रदान नहीं कर रहा है तो हनुमान जी की यह पूजा आपको अवश्य लाभ देगी। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो स्नानोपरांत मंगलवार के दिन हनुमान जी का ध्यान करते हुए पंचोपचार का पूजन करें। लाल कपड़े 700 ग्राम रेवडिय़ां बांधकर पोटली बनाकर अपने पूजा स्थान में रख दें। घी का दीपक जलाकर संकटमोचन हनुमानष्टक के 11 पाठ करें। ततपश्चात यह पोटली अपने ऊपर से 7 बार उसार करके बहते पानी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। पूजा के उपरांत गरीब बच्चों को मीठे परांठे खिलाना भी लाभयदायक रहेगा।

Tuesday, September 18, 2012

नियमों के अनुसार भगवान श्रीगणेश की स्थापना व पूजन




http://religion.bhaskar.com/article/vastu--keep-these-10-special-precautions-in-the-establishment-and-worship-to-lor-3800522.html

FROM BHASKAR ONLINE -

19 सितंबर, बुधवार को गणेश चतुर्थी है। इस दिन घर-घर भगवान श्रीगणेश की स्थापना की जाती है। हमारे धर्म ग्रंथों में इस संबंध में कई नियम बताए गए हैं। यदि इन नियमों के अनुसार भगवान श्रीगणेश की स्थापना व पूजन प्रतिदिन करें व कुछ सावधानियों को ध्यान रखें तो श्रीगणेश पूजन का मनोवांछित फल मिलता है। यह नियम व सावधानियां इस प्रकार हैं-

  •  जिस स्थान पर भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें उस स्थान को प्रतिदिन साफ करें वहां कचरा इत्यादि न जमा हो पाए।
  •  भगवान श्रीगणेश की रोज सुबह- शाम आरती करें व दीपक लगाएं। भोग भी दोनों समय लगाएं।
  •  धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसी न चढ़ाएं। इससे दोष लगता है। भगवान श्रीगणेश को दूर्वा व ताजे फूल चढ़ाएं तो बेहतर रहेगा।
  •  श्रीगणेश की स्थापना ईशाण कोण में करें। स्थापना इस प्रकार करें कि श्रीगणेश की मूर्ति का मुख पश्चिम की ओर रहे।
  •  स्थापना स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें।
  • स्थापना स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें जैसे- चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स रखकर कोई पूजा न करें
  •  स्थापना के बाद श्रीगणेश की प्रतिमा को इधर-उधर न रखें यानी हिलाएं नहीं।
  • स्थापना स्थल के समीप बैठकर किसी धर्म ग्रंथ का पाठ रोज करेंगे तो शुभ फल मिलेगा।


चार साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि जब गणेश चतुर्थी का पर्व बुधवार को आ रहा है। धर्म ग्रंथों में बुधवार को भगवान गणेश का दिन माना गया है और इस बार 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत बुधवार से ही हो रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गणेश चतुर्थी और बुधवार का ये शुभ संयोग सबके लिए सुख-समृद्धिकारक रहेगा। 

इस बार 19 सितंबर से गणेश उत्सव की शुरुआत होगी और 29 सितंबर तक उत्सव की धूम रहेगी। इस वर्ष भादौ का अधिकमास होने से गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे एक महीने देरी से आ रहा है। 

वर्ष 2008 में गणेश चतुर्थी बुधवार को आई थी। अब 2012 में यह संयोग बना है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इसके बाद 2022 में यानी 10 साल बाद बुधवार और गणेश चतुर्थी का संयोग बनेगा।

शुभ फलदायी होगी चतुर्थी

गणेश स्थापना के लिए बुधवार का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जा रहा है। गणेशजी रिद्धि-सिद्धि के दाता होकर सबका मंगल करने वाले हैं। ज्योतिषियों के अनुसार ये संयोग शुभ फलदायी होगा।

भद्रा में कर सकेंगे स्थापना

- चतुर्थी 18 सितंबर को रात 11.57 से 19 सितंबर की रात 9.15 बजे तक रहेगी।

- इसी दिन रात 9.27 से 19 सितंबर की शाम 7.29 बजे तक स्वाति नक्षत्र रहेगा।

- भद्रा नक्षत्र 19 सितंबर की सुबह 10.35 बजे से रात 9.15 बजे तक रहेगा।

- लेकिन भद्रा नक्षत्र का प्रभाव गणेश स्थापना पर नहीं पड़ता है। पूरे दिन शुभ मुहूर्त में गणेश स्थापना की जा सकेगी। 

Friday, September 14, 2012

शनि अमावश्या के दिन करे दुखों का निवारण :- पंडित कौशल पाण्डेय 09968550003


१५ सितम्बर 2012 को शनि अमावश्या है , शनिवार के दिन अमावश्या आने से उसे शनिस्चरी अमावश्या बोलते है यह भी शनि भक्तो के लिए किसी संयोग से कम नहीं है , इस समय शनिदेव व
ैसे भी तुला राशी में चल रहे है और अपनी सप्तम दृष्टी से मेष राशी को देख रहे है , जैसा की आप सभी जानते है शनि देव मकर और कुम्भ राशी के स्वामी है और तुला राशी में अपना शुभ प्रभाव और मेष राशी में अपना अशुभ प्रभाव देते है , इस लिए आज के दिन शनि देव के मन्त्रों का जाप करते हुए पीपल के पेड़ की १०८ परिक्रमा करे या शनि धाम की परिक्रमा करे .
जातक को अपने जन्म कुंडली में देखना चाहिये,यदि शनि चौथे,छठे,आठवें,बारहवें भाव मे किसी भी राशि में विशेषकर नीच राशि में बैठा हो,तो निश्चित ही आर्थिक,मानसिक,भौतिक पीडायें अपनी महादशा,अन्तर्दशा,में देगा,इसमे कोई सन्देह नही है,समय से पहले यानि महादशा,अन्तर्दशा,आरम्भ होने से पहले शनि के बीज मंत्र का अवश्य जाप कर लेना चाहिये.ताकि शनि प्रताडित न कर सके,और शनि की महादशा और अन्तर्दशा का समय सुख से बीते.याद रखें अस्त शनि भयंकर पीडादायक माना जाता है,चाहे वह किसी भी भाव में क्यों न हो.
मै राशी समन्धित गड़ना के खिलाफ हूँ क्योंकि शनि व्यक्ति के कर्मो के हिसाब से अपना शुभ या अशुभ फल देते है … कई बड़े बड़े ज्योतिषी है जो रोज सुबह टी वि में आप को रशियोंके बारे में बतायेगे .. छोटी मुह बड़ी बात नहीं कह सकता …
आप ने देखा होगा की कई लोग चौराहों पर बाल्टी में शनि देव को लिए चले आते है गलीयों में भी शनि शनि के नारे लगते है , ऐसे लोंगों को कभी भी दान नहीं करना चाहिए , क्योंकि वे लोग इकठ्ठा हुआ तेल दुबारा से दुकानों में बेच आते है और हमारा दान किया हुआ तेल हमारे ही घर में आ जाता है , शनि से इतना डर क्यों , शायद इसके जिमेद्दर हमारे जैसे ज्योतिषी ही है जो लोंगोंको शनि के नाम से डर पैदा कर देते है और मोटे चढ़ावे ले लेते है ,
ये कलियुग का प्रभाव ही है की आज हमारे श्री राम , कृष्ण , शिवजी , या हनुमान जी की पूजा शनि और साईं की तुलना में कम हो रही है जो ठीक नहीं है , शनि १ पापी ग्रह है इसकी शांति करनी चाहिए , आज जो सड़क दुर्घटनाएं ,हो रही है इसी का नतीजा है , हाइवे- सड़के खुनी हो गई है ये इसी का प्रभाव है इसके लिए बंरंग बाण का पाठ, पवनपुत्र हनुमान जी की पूजा जिन्होंने शनि को अपनी पूंछ में लपेटकर लंका तक घसीटा था , जिसके कारन शनि पर छाया दान या तेल चढ़ाया जाता है ..
मेरा ये लेख शायद शनि भक्तों को बुरा लेकिन मै वास्तविकता बता रहा हूँ ….
जिनकी कुंडली में शनि आशुभ है या जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन हो जाये , हर समय आलसी रहे , दुःखी, कम शक्तिवान, बार बार व्यापार में हानि उठाने वाला, जब शनि अशुभ फल देता है तो जातक नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला बन जाता है , उसका दिमाक अच्छे कार्यों को नहीं करता जिसके कारन उसे जुआ खेलने , मैच में सट्टा लगाने या खिलाने वाला बन जाता है ,ऐसे जातक को कब्ज का रोगी, जोड़ों में दर्द से पीड़ित, वहमी , नास्तिक या बुरे कर्मो को करने वाला , बेईमान- धोखेबाज तिरस्कृत और अधर्मी बनता है , ऐसे जातक निम्न उपाय करे ..
शनि ग्रह का उपाय …
एक समय में केवल एक ही उपाय करें.उपाय कम से कम 40 दिन और अधिक से अधिक 43 दिनो तक करें.यदि किसी करणवश नागा हो तो फिर से प्रारम्भ करें., यदि कोइ उपाय नहीं कर सकता तो खून का रिश्तेदार ( भाई, पिता, पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है.–
१- ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे ,
२-हनुमान जी की पूजा करे , बंरंग बाण का पाठ करे ,
३- पीपल को जल दे अगर ज्यादा ही शनि परेशां करे तो शनिवार के दिन शमसान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाये ,
४-सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्डह में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये .
५-शनि के मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। या शनिवार को शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का २३,००० जाप करे .
६- उडद के आटे के 108 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा ,
७-बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं देगा ,
८- श्रद्धा भाव से काले घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें या शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें,
९- शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं –काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।
१०-शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
११- गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चहिए.
१२-शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए ) खाने के लिए डाले ,
१३-ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने से कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
१४- बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है,



अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं.,माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे ,अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.





पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे,गाय और कुत्ता पालें, यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें. अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे,यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी .गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा बरक्कत रहेगी.





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