Tuesday, July 24, 2012

ज्योतिष-विज्ञान के सभी विद्वानो से मेरा अनुरोध


ज्योतिषिय गणना के अनुसार बच्चे के जन्म के समय जीवन की एक रूपरेखा तय हो जाती है.जो विद्वान इस गणना को करना जानते है, वे जातक के व्यवहार, शिक्षा, भविष्य आदि के बारे में सटीक बताने का प्रयास करते है.मेरे विचार से अधिकांशतः कुंडली द्वारा बताईं गई भविष्यवाणी और यथार्थ में भिन्नताये पाई जाती है.

इसी प्रकार दो जुडवा बच्चो का जन्म एक ही दिन व समय पर होता है किन्तु जीवन अलग अलग हो सकता है, व्यवहार, शिक्षा, और भविष्य अलग अलग हो सकता है. विद्वानो का मत है कि जातको का प्रारब्ध अलग अलग हो सकता है, इसीलिए दो जुडवा बच्चो का जीवन अलग होता है

मैंने ज्योतिष-विज्ञान के विषयों पर कई आलेख पढ़े, किन्तु मेरे विचार से इस बिन्दु पर किसी विद्वान का ध्यान नही गया,  कि बच्चे का जन्म तो उस समय ही हो जाता है,  जब आत्मा शरीर में प्रवेश कर चुकी होती है और हृदय अपना काम करना शुरू कर देता है. 

यह आज मेरा अपना सोच है की यदि विज्ञान द्वारा वो दिन और समय ज्ञात किया जां सके ( जो कि संभव है),जब बच्चे के शरीर के अन्दर हृदय ने अपना काम करना शुरू कर दिया है. और यदि ज्योतिष गणना उस दिन व समय के अनुसार की जाए तो निश्चित ही ज्योतिष-विद्वान सही भविष्य कथन कर सकते है.

मेरा तर्क यह है कि, अभिमन्यु ने माँ के पेट में ही चक्रव्यू में अन्दर जाने की विधि सीख ली थी. इसी प्रकार विद्वानों का मत है कि हर गर्भवती महिला को भजन पूजन और शास्त्रो के अध्य़यन में समय लगाना चाहिए, जिससे जन्म लेने वाले बच्चे पर अच्छे संस्कार पडे. अर्थात् बच्चे के शरीर में उर्जा का प्रवाह माँ के अन्दर ही शुरू हो जाता है, जिससे मस्तिष्क और पूरा शरीर जाग्रत रहता है.

इस ब्लॉग के माध्यम से मै हमारे देश के  ज्योतिष-विज्ञान के सभी विद्वानो से अनुरोध करना चाहता हूँ, कि इस नए विषय पर शोध करे और हो सकता है कि हम किसी नई ज्योतिषिय-विधि की खोज करने मॆं सफल हो जाएँ.. 

शुभकामनाओं के साथ, 

आशुतोष "श्रीपद"

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