Thursday, January 27, 2011

Pranayam- A deep breathing exercise


प्राणायाम 

1- ''प्राणायाम'' हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। प्राणयाम हमारे मानसिक विकारों को दूर करके आध्यात्मिक प्रवृति की ओर प्रेरित करता है।
2- ''प्राणायाम'' शान्त हवादार स्थान पर आसन बिछाकर, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिये।
3- ''प्राणायाम'' किसी योग्य विशेषज्ञ के साथ सीखकर ही करना चाहिये। गलत विधि अपनाने से नुकसान भी हो सकता है।
4- ''प्राणायाम'' शुरुआत में पांच मिनिट तक करके धीरे - धीरे १५ मिनिट तक ले जा सकते है।
5- ''प्राणायाम'' के लिये बैठते समय रीढ की हड्‌डी सीधी हो तथा पूरे शरीर में किसी प्रकार का तनाव या खिचाव नहीं होना चाहिये।
6- ''प्राणायाम'' करते समय वस्त्र ढीलें व सुविधाजनक पहनने चाहिये।

प्राणायाम विधि 

7- प्राणयाम शुरु करने से पहले यह ध्यान रहे कि दो - ढाई घंटे तक कुछ भी खायां पिया न हो।
8- दोनों नेत्रों को बंद करके, श्वास - प्रक्रिया पर ध्यान केन्द्रित करें।
9- अब धीरे - धीरे श्वास अंदर ले। श्वास अंदर लेते समय हम अपने इष्ट देव का स्मरण करते रहे तो ध्यान व योग बेहतर परिणाम देंगे।
10- श्वास अंदर लेने के पश्च्यात कुछ समय तक (चाहें तो पूरी प्रक्रिया में गिनती करते रहें) श्वास को रोंके रहे। (समय प्रबंध हेतू श्वास अंदर लेते समय १ से ४ तक गिनती करें, रोकते समय १ से ८ तक गिनती करें व छोडते समय १ से १६ तक गिनती करें)
12- तत्‌पश्च्यात बहुत धीरें - धीरें श्वास को छोडे। यह अभ्यास सतत्‌ करें।
13- इस प्रकार '' प्राणयाम'' की गिनती व समय धीरे - धीरे बढाते जायें।
14- '' प्राणयाम'' युवावस्था में ३० से ४० बार, प्रौढ अवस्था में ४०  से ५० बार तथा वृद्धावस्था में अपनी क्षमता के अनुसार करना चाहिये।
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