आलेख - आशुतोष जोशी
पारद शिवलिंग शिव जी को अत्यन्त प्रिय है. पारद शिवलिंग की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है. विशेष रुप से यह पूजा सुख सम्रद्धी और शांती के लिए की जाती रही है और घर में सकारात्मक उर्जा के सतत प्रवाह के लिए हर घर में पारद शिवलिंग रखा जा सकता है. किंतु पारद शिवलिंग का आकार बहुत बडा नही होना चाहिये.
"पारदसंहिता"
केदारादीनि लिंगानी पृथ्वियं यानि कानिचित
तानि दृष्टिवाच यत्पुण्य तत्पुण्यं रसदर्शनात।।
इस पृथ्वी पर केदारनाथ से लेकर जितने भी महादेव जी के लिंग (प्रतिमा) है, उन सबसे दर्शन से जो पुण्य होता है, वह पुण्य केवल इस के ( या इसे रसलिंग भी कहते है) दर्शन करने मात्र से ही मिल जाता है।
गोध्नाश्चैव कृतघ्नाश्चैव वीरहा भ्रूणहापि वा
शरणागतघातीच मित्रविश्रम्भघातकः
दुष्टपापसमाचारी मातृपितृप्रहापिवा
अर्चनात रसलिङ्गेन् तक्तत्पापात प्रमुच्यते |
अर्थात् गौ का हत्यारा , कृतघ्न , वीरघती गर्भस्थ शिशु का हत्यारा, शरणगत का हत्यारा, मित्रघाती, विश्वासघाती, दुष्ट, पापी अथवा माता-पिता को मारने वाला भी यदि पारद शिवलिंग की पूजन करता है तो वह भी तुरंत सभी पापों से मुक्त हो जाता है |
पारद शिवलिंग की पूजा में जल, ढुध , दही या कोई अन्य तरल पदार्थ को शिवलिंग के ऊपर अर्पित नही करना चाहिये क्योकि शिवलिंग के खंडित होने की सम्भावना अधिक होती है.
बिल्पत्र, पुष्प, मिश्री , अक्षत ( चावल) , नाग्केसर, रुद्राक्ष, कलम गत्ते, गोमती चक्र आदि पर अर्पित करके पारद शिवलिंग की पूजा करना हमेशा ही लाभदायी होता है.
पारद शिवलिंग की पूजा का महत्व इसलिए भी है क्योकि यह पूजा, वास्तु दोष और अशुभ-तंत्रो के प्रभावो को दूर कर देती है तथा साधक की रक्ष करती है.
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