BY ASTROLOGER SHRI DAYANAND JI SHASTRI " VISHAL" ON FACEBOOK
अष्ट दिशा एवं गृह वास्तु छः श्लोकी संपूर्ण गृह वास्तु के श्लोकों में कहा गया है:------
षोडशदिशा ग्रह वास्तु : ईशान कोण में देवता का गृह,
पूर्व दिशा में स्नान गृह, अग्नि कोण में रसोई का गृह,
उत्तर में भंडार गृह,
अग्निकोण और पूर्व दिशा के बीच में दूध-दही मथने का गृह,
अग्नि कोण और दक्षिण दिशा के मध्य में घी का गृह,
दक्षिण दिशा और र्नैत्य कोण के मध्य शौच गृह,
र्नैत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में विद्याभ्यास गृह,
पश्चिम और वायव्य कोण के मध्य में रति गृह, उत्तर दिशा और ईशान के मध्य में औषधि गृह,
र्नैत्य कोण में सूतिका प्रसव गृह बनाना चाहिए।
यह सूतिका गृह प्रसव के आसन्न मास में बनाना चाहिए। ऐसा शास्त्र में निश्चित है।
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वास्तु टिप्स: कौन सा समय किस काम के लिए होता है शुभ?
सूर्य, वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है इसलिए जरूरी है कि सूर्य के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या भी सूर्य के अनुसार ही निर्धारित करें।
1- सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।
2- सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में रहता है इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि सूर्य की पर्याप्त रौशनी घर में आ सके।
3- प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है। रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सुखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
4- दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल(आराम का समय) होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
5- दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।
6- सायं 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।
7- सायं 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष के लिए भी उपयोगी है।
8- मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन में सबसे पहले दीवारों की ओर ध्यान देना चाहिए। दीवारें सीधी और एक आकृति वाली होनी चाहिए। कहीं से मोटी और कहीं से पतली दीवार होने पर अशुभ हो सकता है और गृह स्वामी अथवा गृह स्वामी का परिवार कष्ट में रह सकता है।
अपने-अपने घर से सभी को बेहद लगाव होता है। घर में हमें सुख-शांति, मान-सम्मान और धन-वैभव सहित सभी सुविधाएं प्राप्त होती हैं। किसी भी मकान को घर बनाने के लिए कई प्रयास करने होते हैं, मकान बनने के बाद उससे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि सही मुहूर्त में गृह प्रवेश किया जाए।
आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि इन पाॅच तत्वों से मनुष्य ही नहीं समस्त चराचरों का निर्माण हुआ है। हर तत्व की प्रगति को गहनता से समझकर कोटि-कोटि वास्तु सिद्धान्त प्रतिपादित किए गए। समाज में हर तबके के व्यक्ति के लिए मकान की लम्बाई, चैड़ाई, गहराई, ऊँचाई निकटवर्ती वनस्पति, पर्यावरण, देवस्थान, मिट्टी का रंग, गंध विभिन्न कई बिन्दुओं को दृष्टिगत रखते हुए सतत् अनुकरणीय सिद्धान्तों की रचनाएं की ताकि समाज में निम्न, मध्यम और उच्च सभी वर्गों के व्यक्ति स्वस्थ रहते हुए शतायु हो सके।
अतः जब भी आपका इरादा भवन निर्माण का हो, तो यह शुभ कार्य करने से पहले वास्तु शास्त्र के अनुसार, उसके सभी पहलुओं पर विचार करना उत्तम होता है। जैसे शिलान्यास के लिए मुहूर्त्त काल, स्थिति, लग्न, कोण आदि। उसके बाद मकान में निर्मित किए जाने वाले कक्षों की माप, आंगन, रसोई घर, बैडरूम, कॉमन रूम, गुसलखाना, बॉलकनी आदि की स्थिति पर वास्तु के अनुरूप विचार करके ही भवन निर्माण करना चाहिए।
जीवन के है बस तीन निशान रोटी, कपड़ा और मकान यानि की जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में मकान 33 प्रतिशत पर काबिज है। आदि मानव के सतत् सक्रिय मस्तिष्क की शाश्वत चिंतन प्रक्रियाओं के परिणाम स्वरूप ही विभिन्न प्रकार के विषयों में उसका दैनिक अनुभव जन्य ज्ञान दिनोंदिन परिष्कृत परिमार्जित एवं नैसर्गिंक अभिवृद्धि करता हुआ चन्द्रकालाओं की भाॅति अब तक प्रतिक्षण प्रगतिशील रहा एवं रहेगा।
आजकल चूंकि लोगों के घर छोटे-छोटे होते हैं, पैसे और समय की कमी होती है, इसलिए लोगों के लिए अपने घर को वास्तु के हिसाब से बनवाना संभव नहीं होता।
जैसा घर मिला, उसकी में गुजारा करना पडता है। अपने घर के वास्तु दोष आप इस तरह ठीक कर सकती हैं-घर की दीवारों पर मल्टीकलर ना कराएं। खसकर लाल और काले रंग को कम से कम यूज में लाएं।
घर के बडों का कमरा अगर साउथ-वेस्ट में ना हो, तो वे अपना कमरा बदल लें। अगर ऎसा करना संभव ना हो, तो उन्हें अपना बेड इस दिशा में खिसका लेना चाहिए।
नए घर में प्रवेश से पहले वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक कार्य अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है तभी घर शुभ प्रभाव देता है। जिससे जीवन में खुशी व सुख-समृद्धि आती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगलाचरण सहित वाद्य ध्वनि करते हुए कुलदेव की पूजा व वृद्धों का सम्मान करके व ब्राह्मणों को प्रसन्न करके गृह प्रवेश करना चाहिए।
गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं-
शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार शुभ हैं।
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी।
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्ताफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा।
अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए।
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वैवाहिक सुख के लिए विशेष वास्तु उपाय----
किसी ने ठीक ही कहा है कि आपकी प्यारी भारी लाइफ कितनी सफल है इसका अंदाजा आपके बेडरूम को देखकर लगाया जा सकता है। आपकी खुशहाल लाइफ को ज्यादा रोमांचक बनाने में बेडरूम का अपनी ही जगह है।
बेडबेडरूम यानी आपका पर्सनल रूम सही मायनों में वो जगह है जहां पर पति-पत्नी अपना ज्यादातर वक्त एक-दूसरे के साथ बिताते हैं। बेडरूम ही उनके प्यार, दुलार, लडाई, झगडों जैसी खट्टी-मीठी यादों को सहेज कर रखता है।
बेडरूम के MIRROR में नहीं दिखना चाहिए पति-पत्नी के निजी काम, क्योंकि...
--शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां आइना या मिरर न हो लेकिन यदि मिरर बेडरूम में भी है तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। यदि पति-पत्नी मिरर के संबंध में लापरवाही बरतते हैं तो यह उनके वैवाहिक सुख के लिए अच्छा नहीं है।
---पति-पत्नी का जीवन सुखी और प्यारभरा हो इसलिए कई उपयोगी टिप्स बताई गई हैं। इन बातों को अपनाने से वैवाहिक जीवन में खुशियां और संपन्नता बनी रहती है। पति-पत्नी अपने बीच किसी तीसरे व्यक्ति को हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकते लेकिन कुछ लोगों को ऐसी परिस्थिति का भी सामना करना पड़ जाता है।
----वास्तु के अनुसार ऐसी परिस्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए एक महत्वपूर्ण टिप्स दी गई है। पति-पत्नी के रिश्तों पर बेडरूम की व्यवस्था का गहरा प्रभाव पड़ता है। बेडरूम की हर वस्तु दोनों के रिश्तों को प्रभावित करती है।
-----यदि पति-पत्नी के कमरे में कोई अशुभ प्रभाव देने वाली वस्तु रखी है तो इनके बीच तनाव उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है। किसी के भी बेडरूम में यदि कोई दर्पण लगा है और उस दर्पण में बेड या पलंग का प्रतिबिंब दिखता है तो यह रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है।
----वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए बेडरूम में सोते समय दर्पण को ढंककर रखना चाहिए। इसके अलावा बेडरूम में कहीं भी कोई शीशा अस्पष्ट या टूटा हुआ या चटका हुआ नहीं होना चाहिए। यह भी पति-पत्नी के रिश्तों में दरार पैदा कर सकता है।
----बेड के सामने यदि कोई दर्पण हो तो पति-पत्नी को चाहिए कि रात को सोते समय उस शीशे को ढंक दें, उस पर कोई पर्दा डालकर रखें। वास्तु के अनुसार सोते समय दर्पण में पति-पत्नी का प्रतिबिंब दिखाई देने से उनके जीवन में कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।
----ऐसे दर्पण के प्रभाव से दोनों के बीच तनाव इतना बढ़ जाता है कि वे घर के बाहर शांति तलाशने लगते हैं और ऐसे में पति-पत्नी के बीच किसी अन्य व्यक्ति का प्रवेश होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
----जोड़े में मछलियां रखना भी बहुत अच्छा उपाय है। इससे ऐसी सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे पति-पत्नी में आकर्षण बढ़ता है और दांपत्य जीवन में सामंजस्य बना रहता है।
इस उपाय से तलाक जैसी सभी संभावनाएं समाप्त हो जात है। पति-पत्नी के बीच आपसी तालमेल बना रहता है। इसे भोजन करने वाली जगह पर रखना चाहिए।
----वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर चीज का प्रभाव हमारी सोच-विचार पर पड़ता है। ऐसे में घर में वहीं वस्तुएं रखना चाहिए जिनसे घर के सदस्यों के विचार शुद्ध रहे और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो।
टूटी-फूटी और बेकार तस्वीर या मूर्तियां नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है जिससे घर का वातावरण भी वैसा ही हो जाता है। सदस्यों का मन अशांत रहता है और घर में परेशानियां पैदा होती हैं। परिवार में क्लेश, पति-पत्नी के रिश्ते में तनाव भी उत्पन्न हो जाता है। साथ ही घर में धन के प्रवाह में रुकावट आती है।
अष्ट दिशा एवं गृह वास्तु छः श्लोकी संपूर्ण गृह वास्तु के श्लोकों में कहा गया है:------
षोडशदिशा ग्रह वास्तु : ईशान कोण में देवता का गृह,
पूर्व दिशा में स्नान गृह, अग्नि कोण में रसोई का गृह,
उत्तर में भंडार गृह,
अग्निकोण और पूर्व दिशा के बीच में दूध-दही मथने का गृह,
अग्नि कोण और दक्षिण दिशा के मध्य में घी का गृह,
दक्षिण दिशा और र्नैत्य कोण के मध्य शौच गृह,
र्नैत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में विद्याभ्यास गृह,
पश्चिम और वायव्य कोण के मध्य में रति गृह, उत्तर दिशा और ईशान के मध्य में औषधि गृह,
र्नैत्य कोण में सूतिका प्रसव गृह बनाना चाहिए।
यह सूतिका गृह प्रसव के आसन्न मास में बनाना चाहिए। ऐसा शास्त्र में निश्चित है।
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वास्तु टिप्स: कौन सा समय किस काम के लिए होता है शुभ?
सूर्य, वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है इसलिए जरूरी है कि सूर्य के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या भी सूर्य के अनुसार ही निर्धारित करें।
1- सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।
2- सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में रहता है इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि सूर्य की पर्याप्त रौशनी घर में आ सके।
3- प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है। रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सुखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
4- दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल(आराम का समय) होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
5- दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।
6- सायं 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।
7- सायं 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष के लिए भी उपयोगी है।
8- मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन में सबसे पहले दीवारों की ओर ध्यान देना चाहिए। दीवारें सीधी और एक आकृति वाली होनी चाहिए। कहीं से मोटी और कहीं से पतली दीवार होने पर अशुभ हो सकता है और गृह स्वामी अथवा गृह स्वामी का परिवार कष्ट में रह सकता है।
अपने-अपने घर से सभी को बेहद लगाव होता है। घर में हमें सुख-शांति, मान-सम्मान और धन-वैभव सहित सभी सुविधाएं प्राप्त होती हैं। किसी भी मकान को घर बनाने के लिए कई प्रयास करने होते हैं, मकान बनने के बाद उससे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि सही मुहूर्त में गृह प्रवेश किया जाए।
आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि इन पाॅच तत्वों से मनुष्य ही नहीं समस्त चराचरों का निर्माण हुआ है। हर तत्व की प्रगति को गहनता से समझकर कोटि-कोटि वास्तु सिद्धान्त प्रतिपादित किए गए। समाज में हर तबके के व्यक्ति के लिए मकान की लम्बाई, चैड़ाई, गहराई, ऊँचाई निकटवर्ती वनस्पति, पर्यावरण, देवस्थान, मिट्टी का रंग, गंध विभिन्न कई बिन्दुओं को दृष्टिगत रखते हुए सतत् अनुकरणीय सिद्धान्तों की रचनाएं की ताकि समाज में निम्न, मध्यम और उच्च सभी वर्गों के व्यक्ति स्वस्थ रहते हुए शतायु हो सके।
अतः जब भी आपका इरादा भवन निर्माण का हो, तो यह शुभ कार्य करने से पहले वास्तु शास्त्र के अनुसार, उसके सभी पहलुओं पर विचार करना उत्तम होता है। जैसे शिलान्यास के लिए मुहूर्त्त काल, स्थिति, लग्न, कोण आदि। उसके बाद मकान में निर्मित किए जाने वाले कक्षों की माप, आंगन, रसोई घर, बैडरूम, कॉमन रूम, गुसलखाना, बॉलकनी आदि की स्थिति पर वास्तु के अनुरूप विचार करके ही भवन निर्माण करना चाहिए।
जीवन के है बस तीन निशान रोटी, कपड़ा और मकान यानि की जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में मकान 33 प्रतिशत पर काबिज है। आदि मानव के सतत् सक्रिय मस्तिष्क की शाश्वत चिंतन प्रक्रियाओं के परिणाम स्वरूप ही विभिन्न प्रकार के विषयों में उसका दैनिक अनुभव जन्य ज्ञान दिनोंदिन परिष्कृत परिमार्जित एवं नैसर्गिंक अभिवृद्धि करता हुआ चन्द्रकालाओं की भाॅति अब तक प्रतिक्षण प्रगतिशील रहा एवं रहेगा।
आजकल चूंकि लोगों के घर छोटे-छोटे होते हैं, पैसे और समय की कमी होती है, इसलिए लोगों के लिए अपने घर को वास्तु के हिसाब से बनवाना संभव नहीं होता।
जैसा घर मिला, उसकी में गुजारा करना पडता है। अपने घर के वास्तु दोष आप इस तरह ठीक कर सकती हैं-घर की दीवारों पर मल्टीकलर ना कराएं। खसकर लाल और काले रंग को कम से कम यूज में लाएं।
घर के बडों का कमरा अगर साउथ-वेस्ट में ना हो, तो वे अपना कमरा बदल लें। अगर ऎसा करना संभव ना हो, तो उन्हें अपना बेड इस दिशा में खिसका लेना चाहिए।
नए घर में प्रवेश से पहले वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक कार्य अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है तभी घर शुभ प्रभाव देता है। जिससे जीवन में खुशी व सुख-समृद्धि आती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगलाचरण सहित वाद्य ध्वनि करते हुए कुलदेव की पूजा व वृद्धों का सम्मान करके व ब्राह्मणों को प्रसन्न करके गृह प्रवेश करना चाहिए।
गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं-
शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार शुभ हैं।
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी।
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्ताफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा।
अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए।
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वैवाहिक सुख के लिए विशेष वास्तु उपाय----
किसी ने ठीक ही कहा है कि आपकी प्यारी भारी लाइफ कितनी सफल है इसका अंदाजा आपके बेडरूम को देखकर लगाया जा सकता है। आपकी खुशहाल लाइफ को ज्यादा रोमांचक बनाने में बेडरूम का अपनी ही जगह है।
बेडबेडरूम यानी आपका पर्सनल रूम सही मायनों में वो जगह है जहां पर पति-पत्नी अपना ज्यादातर वक्त एक-दूसरे के साथ बिताते हैं। बेडरूम ही उनके प्यार, दुलार, लडाई, झगडों जैसी खट्टी-मीठी यादों को सहेज कर रखता है।
बेडरूम के MIRROR में नहीं दिखना चाहिए पति-पत्नी के निजी काम, क्योंकि...
--शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां आइना या मिरर न हो लेकिन यदि मिरर बेडरूम में भी है तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। यदि पति-पत्नी मिरर के संबंध में लापरवाही बरतते हैं तो यह उनके वैवाहिक सुख के लिए अच्छा नहीं है।
---पति-पत्नी का जीवन सुखी और प्यारभरा हो इसलिए कई उपयोगी टिप्स बताई गई हैं। इन बातों को अपनाने से वैवाहिक जीवन में खुशियां और संपन्नता बनी रहती है। पति-पत्नी अपने बीच किसी तीसरे व्यक्ति को हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकते लेकिन कुछ लोगों को ऐसी परिस्थिति का भी सामना करना पड़ जाता है।
----वास्तु के अनुसार ऐसी परिस्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए एक महत्वपूर्ण टिप्स दी गई है। पति-पत्नी के रिश्तों पर बेडरूम की व्यवस्था का गहरा प्रभाव पड़ता है। बेडरूम की हर वस्तु दोनों के रिश्तों को प्रभावित करती है।
-----यदि पति-पत्नी के कमरे में कोई अशुभ प्रभाव देने वाली वस्तु रखी है तो इनके बीच तनाव उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है। किसी के भी बेडरूम में यदि कोई दर्पण लगा है और उस दर्पण में बेड या पलंग का प्रतिबिंब दिखता है तो यह रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है।
----वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए बेडरूम में सोते समय दर्पण को ढंककर रखना चाहिए। इसके अलावा बेडरूम में कहीं भी कोई शीशा अस्पष्ट या टूटा हुआ या चटका हुआ नहीं होना चाहिए। यह भी पति-पत्नी के रिश्तों में दरार पैदा कर सकता है।
----बेड के सामने यदि कोई दर्पण हो तो पति-पत्नी को चाहिए कि रात को सोते समय उस शीशे को ढंक दें, उस पर कोई पर्दा डालकर रखें। वास्तु के अनुसार सोते समय दर्पण में पति-पत्नी का प्रतिबिंब दिखाई देने से उनके जीवन में कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।
----ऐसे दर्पण के प्रभाव से दोनों के बीच तनाव इतना बढ़ जाता है कि वे घर के बाहर शांति तलाशने लगते हैं और ऐसे में पति-पत्नी के बीच किसी अन्य व्यक्ति का प्रवेश होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
----जोड़े में मछलियां रखना भी बहुत अच्छा उपाय है। इससे ऐसी सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे पति-पत्नी में आकर्षण बढ़ता है और दांपत्य जीवन में सामंजस्य बना रहता है।
इस उपाय से तलाक जैसी सभी संभावनाएं समाप्त हो जात है। पति-पत्नी के बीच आपसी तालमेल बना रहता है। इसे भोजन करने वाली जगह पर रखना चाहिए।
----वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर चीज का प्रभाव हमारी सोच-विचार पर पड़ता है। ऐसे में घर में वहीं वस्तुएं रखना चाहिए जिनसे घर के सदस्यों के विचार शुद्ध रहे और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो।
टूटी-फूटी और बेकार तस्वीर या मूर्तियां नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है जिससे घर का वातावरण भी वैसा ही हो जाता है। सदस्यों का मन अशांत रहता है और घर में परेशानियां पैदा होती हैं। परिवार में क्लेश, पति-पत्नी के रिश्ते में तनाव भी उत्पन्न हो जाता है। साथ ही घर में धन के प्रवाह में रुकावट आती है।
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