आलेख दैनिक भास्कर से साभार
सुनामी सिसमोग्राफ पर दर्ज दुनिया का तीसरा बड़ा टाइड्स है। इतिहास में दर्ज सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है जिसके कारण दुनिया के चौदह देशों के लगभग 2,30,000 लोगों की मृत्यु हुई थी। समुद्र के इस तूफान की तरंगें 100 फुट ऊंचाई तक गई थीं।
आकाश में स्थित सभी नौ ग्रहों में आकर्षण शक्ति है। यही आकर्षण शक्ति चंद्रमा में भी पाई जाती है। जिसके आधार पर ही चांद पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। चांद अपनी आकर्षण क्षमता के आधार पर ही पृथ्वी की चीजों को आकर्षित करता है। चंद्र और पानी दोनों सौम्य होने के कारण भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि चंद्रमा समुद्र के पानी को अपनी ओर खींचता हैं। लेकिन पृथ्वी की चीजों को अपनी ओर आकर्षित करने की शक्ति चांद के आकर्षण से कहीं गुना अधिक है। इसलिए समुद्र के पानी को पृथ्वी अपनी ओर थामे रहती है।
पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा का बल अधिक बढ़ जाता है। जिसके कारण ही ये समुद्र के पानी को तेजी से अपनी ओर खींचता हैं। जिसकी वजह से समुद्र की लहरें तेजी से ऊपर की ओर उठती है और ज्वारा भाटा निर्मित करती हैं।
समुद्र से उत्पन्न हुई ये लहरें कभी-कभी इतनी विशाल और शक्तिशाली हो जाती हैं। कि सामान्य जनजीवन को भी अपनी चपेट में ले लेती हैं। समुद्र की सीमा का लंघन करती हुई ये लहरें धरती पर अपना प्रभाव छोड़ने लगती हंै। ऐसी ही उत्पन्न होती लहरों ने 26 दिसंबर 2004 को भारत में अपने पैर पसारे थे। समुद्र की सीमा को तोड़ती हुई इन लहरों ने जंगलांे, सड़कों की सीमा को पार कर लोगों के घरों में प्रवेश पा लिया था।
समुद्र से उत्पन्न हुई ये लहरें कभी-कभी इतनी विशाल और शक्तिशाली हो जाती हैं। कि सामान्य जनजीवन को भी अपनी चपेट में ले लेती हैं। समुद्र की सीमा का लंघन करती हुई ये लहरें धरती पर अपना प्रभाव छोड़ने लगती हंै। ऐसी ही उत्पन्न होती लहरों ने 26 दिसंबर 2004 को भारत में अपने पैर पसारे थे। समुद्र की सीमा को तोड़ती हुई इन लहरों ने जंगलांे, सड़कों की सीमा को पार कर लोगों के घरों में प्रवेश पा लिया था।
सुनामी वाले दिन भी था चांद का बल अधिक
भारत में सुनामी ने 26 दिसंबर 2004 को कदम रखे थे। उस दिन पूर्णिमा तिथि होने के कारण चांद अपने पूरे आकार में था। चांद का आकर्षण बल भी उस दिन अन्य दिनों के मुकाबले अधिक था। पृथ्वी के दक्षिणायन रहने से चांद का बल अधिक प्रभावशाली था। समुद्र की लहरों का अधिक ऊंचाई तक जाना चांद के अधिक बली होने के कारण हो सकता है।
भारत में सुनामी ने 26 दिसंबर 2004 को कदम रखे थे। उस दिन पूर्णिमा तिथि होने के कारण चांद अपने पूरे आकार में था। चांद का आकर्षण बल भी उस दिन अन्य दिनों के मुकाबले अधिक था। पृथ्वी के दक्षिणायन रहने से चांद का बल अधिक प्रभावशाली था। समुद्र की लहरों का अधिक ऊंचाई तक जाना चांद के अधिक बली होने के कारण हो सकता है।
सुनामी सिसमोग्राफ पर दर्ज दुनिया का तीसरा बड़ा टाइड्स है। इतिहास में दर्ज सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है जिसके कारण दुनिया के चौदह देशों के लगभग 2,30,000 लोगों की मृत्यु हुई थी। समुद्र के इस तूफान की तरंगें 100 फुट ऊंचाई तक गई थीं।
पूर्णिमा पर क्यों नहीं करना चाहिए किसी से बहस
पूर्णिमा को चांद के बढ़ने से जहां ब्रह्मांड में ज्वारभाटा जैसी खगोलीय घटना अधिक तेजी से होती है। वहीं वातावरण में बहने वाली तरंगें उस दिन मनुष्य के व्यवहार को भी उग्र कर सकती हैं। मनुष्य के मन में भी कई तरह की उथल - पुथल चलती रहती है। चंद्रमा मन का स्वामी होता है। चांद का बल पूर्णिमा को बढ़ जाने के कारण ही मन की उथल - पुथल बढ़ सकती है। यदि व्यक्ति किसी तनाव में है तो यह तनाव उस दिन और ज्यादा बढ़ सकता है।
पूर्णिमा को चांद के बढ़ने से जहां ब्रह्मांड में ज्वारभाटा जैसी खगोलीय घटना अधिक तेजी से होती है। वहीं वातावरण में बहने वाली तरंगें उस दिन मनुष्य के व्यवहार को भी उग्र कर सकती हैं। मनुष्य के मन में भी कई तरह की उथल - पुथल चलती रहती है। चंद्रमा मन का स्वामी होता है। चांद का बल पूर्णिमा को बढ़ जाने के कारण ही मन की उथल - पुथल बढ़ सकती है। यदि व्यक्ति किसी तनाव में है तो यह तनाव उस दिन और ज्यादा बढ़ सकता है।
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