Collection from -( Writer - स्वर्गपति दास -) http://hindi.webdunia.com
भगवान कृष्ण के लिए कार्तिक महीने का सबसे ज्यादा महत्व है। उन्होंने इस महीने में सबसे ज्यादा लीलाएं इस धराधाम पर कीं।
भगवान विष्णु और राधारानी को भी यह महीना सबसे अधिक पसंद है। भगवान विष्णु ने इसमें मस्य अवतार लिया था और राधारानी को यह महीना इसलिए पसंद है क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण ने विलक्षण लीलाएं की हैं। तुलसी महारानी के लिए भी यह महीना बेहद महत्व रखता है। तुलसी महारानी का प्राकट्य धराधाम पर कार्तिक की शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।
कार्तिक की शरद पूर्णिमा सबसे अधिक महत्व इसलिए है क्योंकि इस पावन दिवस पर भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। इस दिन वैसे भी चांद की किरणों की शोभा निराली होती है। चांद का यौवन और शीतलता अद्भुत होती है। इस रात्रि वैष्णव भक्त खीर बनाकर उसे चंद्रमा की किरणों से आपुरित करके अगले दिन यह अमृत प्रसाद पाते हैं।
वृंदावनी, वृंदा, विश्वपूजिता, पुष्पसार।
नंदिनी, कृष्णजीवनी, विश्वपावनी, तुलसी।
इस मंत्र से पूर्णिमा के दिन जो भी श्रद्धालु तुलसी महारानी की पूजा करता है वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर गोलोक वृंदावन जाने का अधिकारी बनता है।
पद्म पुराण के अनुसार कार्तिक महीने में कई कल्पों को एकत्रित करते हुए पाप दामोदर कृष्ण को दीपदान करने से समाप्त हो जाते हैं। पद्म पुराण में कृष्ण और सत्यभामा के बीच संवाद से कार्तिक महीने में दीपदान के अद्भुत फलों का रहस्य खुलता है। पूरे कार्तिक महीने भगवान कृष्ण को (जो कि दामोदार भाव में होने चाहिए) दीया दिखाने से अश्वमेघ यज्ञ के फल से भी अधिक लाभ मिलता है।
गंगा या पुष्कर में स्नान करने के भी कार्तिक में बहुमूल्य लाभ हैं। इस स्थानों में स्नान करने से श्रद्धालुओं को अनगिनत पुण्य की प्राप्ति होती है।
स्कन्द पुराण में ब्रह्मा जी और नारद के बीच कार्तिक मास में दीपदान की महिमा को लेकर खासी चर्चा हुई है। उनके अनुसार ज्येष्ठ-आषाढ़ के जल दान या फिर पूरा अन्न दान के बराबर फल केवल दीपदान से मिल जाता है। इसके अतिरिक्त ब्रह्मा जी ने दीपदान को राजसुय यज्ञ और अश्वमेघ यज्ञ के समान बताया गया है। पूरे साल भर में तपस्या और भक्ति के लिए निर्दिष्ट चार महीनों यानी चातुर्मास के तीन महीनों का फल अकेले कार्तिक मास में भगवान की सेवा करके प्राप्त किया जा सकता है।
विशेष कर कार्तिक माह के आखिरी पांच दिनों, जो कि भीष्म पंचक कहलाता है उसमें की गई तपस्या का फल पूरे साल की तपस्या के बराबर है।
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