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Wednesday, June 11, 2014
ॐ श्री साईं नाथाय नमः
सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल
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|| ओउम हं हनुमंते नमः ||
सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है| यह राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है| साल भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं| सालासर हनुमान धाम राजस्थान के जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर सीकर से लगभग 57 किमी व सुजानगढ से लगभग 24 किमी दूर स्थित है। मान्यता है कि सालासर बालाजी सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
सालासर बालाजी मंदिर इतिहास
श्रावण शुक्ल नवमी, संवत् 1811- शनिवार को एक चमत्कार हुआ| नागपुर जिले में असोटा गांव का एक गिन्थाला-जाट किसान अपने खेत को जोत रहा था| अचानक उसके हल से कोई पथरीली चीज़ टकराई और एक गूंजती हुई आवाज पैदा हुई. उसने उस जगह की मिट्टी को खोदा और उसे मिट्टी में सनी हुई दो मूर्तियां मिलीं| उसकी पत्नी उसके लिए भोजन लेकर वहां पहुंची| किसान ने अपनी पत्नी को मूर्ति दिखाई| उसने अपनी साड़ी (पोशाक) से मूर्ति को साफ़ किया. यह मूर्ति बालाजी भगवान श्री हनुमान की थी| उन्होंने समर्पण के साथ अपने सिर झुकाए और भगवान बालाजी की पूजा की. भगवान बालाजी के प्रकट होने का यह समाचार तुरन्त असोटा गांव में फ़ैल गया| असोटा के ठाकुर ने भी यह खबर सुनी| बालाजी ने उसके सपने में आकर उसे आदेश दिया कि इस मूर्ति को चुरू जिले में सालासर भेज दिया जाये| उसी रात भगवान हनुमान के एक भक्त, सालासर के मोहन दासजी महाराज ने भी अपने सपने में भगवान हनुमान या बालाजी को देखा| भगवान बालाजी ने उसे असोटा की मूर्ति के बारे में बताया| उन्होंने तुरन्त असोटा के ठाकुर के लिए एक सन्देश भेजा| जब ठाकुर को यह पता चला कि असोटा आये बिना ही मोहन दासजी को इस बारे में थोडा बहुत ज्ञान है, तो वे चकित हो गए| निश्चित रूप से, यह सब सर्वशक्तिमान भगवान बालाजी की कृपा से ही हो रहा था. मूर्ति को सालासर भेज दिया गया और इसी जगह को आज सालासर धाम के रूप में जाना जाता है| दूसरी मूर्ति को इस स्थान से 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम (भरतगढ़) में स्थापित कर दिया गया|
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