Monday, March 28, 2011

हमारी परम्पराये



DAINIK BHASKAR SE SAAHBAAR-      SELECTION BY - ASHUTOSH JOSHI


सभी धर्मों में दान मुख्य अंग माना गया है। शास्त्रों के अनुसार दान करना पुण्य कर्म है और इससे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। दान के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में कई नियम बनाए गए हैं। ताकि दान करने वाले को अधिक से अधिक धर्म लाभ प्राप्त हो सके। भारत देश में अनेक परंपराएं ऐसी हैं जिन्हें कुछ लोग अंधविश्वास मानते हैं तो कुछ लोग उन परंपराओं पर विश्वास करते हैं।

ऐसी ही एक परंपरा है नदी में सिक्के डालने की। आपने अक्सर देखा होगा कि ट्रेन या बस जब किसी नदी के पास से गुजरती है तो  उसमे बैठे लोग या नदी के पास से गुजरने वाले लोग नदी को नमन करने के साथ ही उसमें सिक्के डालते हैं। दरअसल यह कोई अंधविश्वास नहीं बल्कि एक उद्देश्य से बनाइ गई परंपरा है। इसका पहला कारण तो यह था कि प्राचीन समय में चांदी व तांबे के सिक्के हुआ करते थे।

जब उन सिक्को को नदी में डाला जाता था तो नदी में एकत्रित होने वाले ये सिक्के जल के शुद्धिकरण का कार्य करते थे। साथ ही इसके पीछे एक कारण यह है कि नदी में सिक्के डालना एक तरह का दान भी होता है क्योंकि पवित्र नदियों वाले क्षेत्र में कई गरीब बच्चे नदी से  सिक्के एकत्रित करते हैं। इसलिए नदी में सिक्के डालने से दान का पुण्य भी प्राप्त होता है। साथ ही ज्योतिष के अनुसार ऐसी मान्यता है कि यदि बहते पानी में चांदी का सिक्का डाला जाए तो अशुभ चंद्र का दोष समाप्त हो जाता है।

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इसके अलावा शास्त्रो मे यह भी कहा गया है कि नदी मे किसी भी वस्तु को सिराने (बहाने) के विधान के पीछे यही मान्यता है कि वस्तु के बहाने के साथ साथ हमारी सारी समस्याए भी दूर हो जाती है.

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