संकलन: चतर सिंह 'लुप्त' पारसौली
वनवास के समय सरोवर के पास यक्ष ने पांडवों से सात सवाल पूछे थे। इनका सही जवाब न देने पर उनमें से चार भाई पत्थर के बन गए थे। अंत में युधिष्ठिर ने उनके सही उत्तर देकर अपने भाइयों का जीवन वापस पाया। युधिष्ठिर और यक्ष के बीच हुए सवाल-जवाब निम्नलिखित थे:
यक्ष का पहला प्रश्न: वह कौन है जो सोया हुआ होने पर भी आँखें नहीं मूँदता, कौन जन्म लेकर भी चलने का प्रयास नहीं करता, किसके भीतर हृदय नहीं होता और वेग से कौन बढ़ता है?
युधिष्ठिर का उत्तर: मछली सोने पर पलक नहीं मूँदती, अंडा जन्म लेने पर भी चलने की चेष्टा नहीं करता, पत्थर में हृदय नहीं होता और नदी वेग से बढ़ती है।
यक्ष का पहला प्रश्न: वह कौन है जो सोया हुआ होने पर भी आँखें नहीं मूँदता, कौन जन्म लेकर भी चलने का प्रयास नहीं करता, किसके भीतर हृदय नहीं होता और वेग से कौन बढ़ता है?
युधिष्ठिर का उत्तर: मछली सोने पर पलक नहीं मूँदती, अंडा जन्म लेने पर भी चलने की चेष्टा नहीं करता, पत्थर में हृदय नहीं होता और नदी वेग से बढ़ती है।
दूसरा प्रश्न: पृथ्वी से भी ज्यादा धारण करने वाला, आकाश से भी ऊँचा और वायु से ज्यादा गतिमान कौन है?
उत्तर: माता, पृथ्वी से भी ज्यादा धारण करने वाली, पिता आकाश से भी ऊँचा और मन, वायु से अधिक गतिमान होता है।
तीसरा प्रश्न: घर में, विदेश में, रोग के समय और मृत्यु समय कौन-कौन मित्र होते हैं?
उत्तर: पत्नी घर में, साथ के यात्री विदेश में, वैद्य रोग में तथा सत्कर्म मृत्यु के समय मनुष्य के सच्चे मित्र होते हैं।
चौथा प्रश्न: मानव का सबसे बड़ा शत्रु कौन है, कभी न खत्म होने वाली व्याधि क्या है तथा साधु-असाधु कौन होते हैं?
उत्तर: क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है, लोभ अनन्त व्याधि है, परोपकारी साधु तथा निर्दयी पुरुष ही असाधु है।
पांचवाँ प्रश्न: श्रेष्ठ धर्म क्या? किसको बस में करने से शोक नहीं होता?
उत्तर: दया सर्वश्रेष्ठ धर्म है और मन को बस में करने से शोक नहीं होता।
छठा प्रश्न: धर्म, यश, स्वर्ग एवं सुख कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर: दक्षता से धर्म, दान से यश का, सत्य से स्वर्ग तथा शील से ही सुख की प्राप्ति होती है।
अंतिम प्रश्न: देवत्व क्या है? सत् पुरुषों का धर्म क्या? इनमें मानुष भाव क्या है?
उत्तर: वेदों का स्वाध्याय ही देवत्व है, तप ही सत् पुरुषों का धर्म है और मृत्यु मानुषी भाव है।
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