जीवन में दरिद्रता शाप के समान मानी जाती है। खासतौर पर धन की कमजोरी से जन्मी तन, मन की परेशानियां इंसान के गुण, रूप व शक्ति को लील जाती है। इस तरह धन का अभाव साख गिराकर गुमनामी के अंधेरों मे धकेल सकता है। यही कारण है कि हर इंसान जरूरतों की पूर्ति व अभावों से बचने के लिए अधिक से अधिक धन बटोरने की कोशिश करता है।
ऐसे ही प्रयासों के तहत धार्मिक उपायों में भगवान गणेश की पूजा, बुद्धि, ज्ञान व बल द्वारा सुख-समृद्धि देने वाली मानी जाती है।
सुख-वैभव की कामनापूर्ति के लिए शास्त्रों में चतुर्थी व बुधवार को कुछ विशेष मंत्रों से भगवान गणेश का ध्यान बहुत मंगलकारी बताया गया है। इनमें षडाक्षरी गणेश मंत्र अर्थ, यानी धन व सुख-सुविधाओं के साथ धर्म, काम व मोक्ष देने वाला भी माना गया है। मान्यता है कि यह सिद्ध मंत्र ब्रह्मदेव ने सृष्टि रचना के लिए प्रकट हुई चतुर्थी स्वरूपा देवी को श्री गणेश की भक्ति के लिए दिया था। जानिए यह मंत्र विशेष -
- सालभर हर माह की कृष्णपक्ष या शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश की केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा, सिंदूर से पूजा व गुड़ के लड्डुओं का भोग लगाने के बाद इस गणेश मंत्र का स्मरण करें या पूर्व दिशा की ओर मुख कर पीले आसन पर बैठ हल्दी या चन्दन की माला से कम से कम 108 बार जप करें। मंत्र जप के बाद भगवान गणेश की चंदन धूप व गोघृत आरती कर वैभव व यश की कामना करें। यह सरल मंत्र है -
वक्रतुण्डाय हुम्।।
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