हमारी भारतीय संस्कृति में वृक्षों की पूजा विभिन्न त्योंहारों व मुहुर्त में प्राचीनकाल से चली आ रही है। नव - ग्रहों की अशुभता को दूर करने के लिये भी उपयुक्त वृक्षों को जल देना, पूजा करना आदि हिन्दू धर्म में लाभदायक माना जाता है। वैसे भी वृक्ष प्रकृति का अभिन्न अंग है और प्रकृति से ही मानव जीवन विद्यमान है। पंचतत्वों (प्ृथ्वी, जल, आकाश, वायु व अग्नि) के अभाव में हम इस संसार में जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते । वृक्षों की कुछ मुखय प्रजातियों का संबंध शास्त्रों में वर्णित विभिन्न आध्यात्मिक कथाओं में मिलता रहा है तथा प्रदृषण दूर करने में भी इन्हीं प्रजातियों के विशेष गुणों का महत्व रहा है। इसके अलावा वृक्षों की अनेक प्रजातियाँ कई असाध्य रोगो को दूर करने में सक्षम होती है। वृक्षों में उनकी जडों, पत्रों, तनों, फलों आदि सभी का अपना गुण होता है। जिसका उपयोग मानव कई वर्षो से करता रहा है। प्राचीन काल में वृक्षों के कंद - मूल खाकर ही महान् तपस्वियों ने प्रकृति की गोद में रहकर साधना की है। आज यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम वृक्षों को काटकर, प्रकृति को नष्ट कर रहे है। प्रकृति के साथ अनावश्यक खिलवाड करके हम पर्यावरण के असंतुलन को बढा रहे है। जिसका भविष्य में खतरनाक परिणाम आने वाला है। इसके अलावा दिन - प्रतिदिन प्रदूषण बढता जा रहा है। सडकों पर हजारों नये वाहन रोज बढ जाते है और हम सब आंखे मूंदकर यह अनर्थ होता देख रहे है। मनुष्य के निजी स्वार्थ की महत्ता इतनी अधिक है कि भविष्य में प्रकृति के असंतुलन का भयावह प्रकोप किसी को भी महसूस नहीं हो रहा है।
चन्द्र पलाश
मंगल खेर
बुध अपामार्ग
गुरु पीपल
शुक्र गूलर
शनि शमी, पीपल
राहु दूर्वा/चन्दन
आराध्य वृक्ष एवं पौधे
ग्रह उपयुक्त वृक्ष
सूर्य मंदारचन्द्र पलाश
मंगल खेर
बुध अपामार्ग
गुरु पीपल
शुक्र गूलर
शनि शमी, पीपल
राहु दूर्वा/चन्दन
वृक्षों की पूजा अर्चना व उनसे लाभ
खेर का पेड - मानसिक शांति/धैर्य
आंवला का पेड - वंश वृद्धि/सौभाग्य वृद्धि
जामुन का पेड - शारीरिक सुख/रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि
कदंम का पेड - बाधाएं दूर/प्रगति
आम/अशोक - मानसिक बल/स्वास्थय
सुपारी का पेड - गृह कलह से शांति/पारिवारिक प्रेम
बिल्व पत्री का पेड - समद्धि में वृद्धि।
नीम का पेड - व्यक्तित्व के प्रभाव में वृद्धि
पलाश का पेड - संतान सुख में वृद्धि व नवीन कार्य में सफलता
बाँस का वृक्ष - विवेक का विकास
By - Ashutosh Joshi
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