मोती
हिन्दी नाम मोती
उपयुक्त ग्रह चन्द्रमा
उपयुक्त दिन सोमवार
उपयुक्त अंगुली तर्जनी कनिष्का
उपयुक्त रंग सफेद
उपयुक्त धातु चांदी
उपयुक्त वजन सवा पॉच रत्ती
उपयुक्त मंत्र ऊं चंद्राय नमः
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः
उपयुक्त अपेक्षित लाभ
1 मानसिक शांति मिलती है।
2. अस्थिरता उत्तेजना उलझन दूर होती है।
3. तन व मन शीतल रहता है।
4 क्रोध शांत होता है।
5 उत्साह व धन बढाता है।
6 तेज व ओज बढाता हैं।
7 मोती पहनने से विपरित असर नहीं होता है।
8 स्त्रियों की पेट की बीमारी में लाभ होता है।
9 मोती की भस्म हदय रोग में लाभ पहुचाती है।
10 इस रत्न से चन्द्रमा ग्रह संबंधित सारे दोष दूर होते है।
11 12 घंटे मोती को चांदी के पात्र में रखकर उसका जल ग्रहण करने से मियादी बुखार उतरते है। मूत्र संबंधी रोग में लाभ होता है।
मुख्य रुप से अधिक चमक व आभा वाला मोती ही उत्तम होता है। आचार्य वाराहमिहिर के अनुसार मोती की उत्पति हाथी] सर्प] सीपी] शंख]मेघ]बांस]मछली और सुअर से बताई है]किन्तु शास्त्रों के अनुसार सीप से उत्पन्न मोती ही श्रेष्ठ माना गया है।
यदि चन्द्र ग्रह कमजोर स्थिति में हो तो निम्नलिखित उपाय करे।
चंद्रमा को अपने अुनकूल करने के लिए रात को सिरहाने दूध या पानी लोटे में भरकर रख ले एवं सुबह उठकर कीकर के वृक्ष में डाल दे। मोती z चावल z दूध तथा चांदी का दान कर सकते है।
जब जन्म या वर्ष कुंडली में चंद्र ग्रह अशुभ हो तो निम्नलिखित मंत्र को 11 हजार की संख्या मंे जप करना और तदुपरांत दशमांश संख्या में हवन करना कल्याणकारी होता है। जल का आरंभ पूर्णिमा या शुक्ल पक्ष के सोमवार से करना चाहिए ।
तंत्रोंक्त चंद्र मंत्र: ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः
दान योग्य वस्तु;s +चांवल , सफेद z चंदन z शंख z कपूर z घीz z दही z चीनी z मिश्री z मोती z श्वेत वस्त्र z श्वेत पुुष्प z श्वेत फल z चांदी z मिठाई और दक्षिणा।
अन्य उपाय:
1. चांदी के बर्तनों का प्रयोग करना एवं चारपाई के (सोने योग्य दीवान इत्यादि भी ) पायों में चांदी के कील ठुकवाना।
2 सफेद मोतियों की माला अथवा चांदी की अंगूठी में मोती धारण करना।
3 शीशे के गिलास में दूध , पानी आदि पीने से परहेज रखना तथा चंादी के बर्तनों में दूध , पानी शुभ होगा।
4 पानी मंें कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा की बीज मंत्र पढते हुए पीपल पर डालना।
5 लगातार 16 सोमवार व्रत रखकर सायंकाल सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिये तथा पांच छोटी कन्याओं को क्षीर सहित भोजन कराना चाहिये।
6 सोमवार को ही प्रातः काल स्नानादि करके ताम्र बर्तन में कच्ची लस्सी (जल तथा थोडा सा दूध) भगवान की मूर्ति शिवलिंग पर चढाना चाहिये।
7 चांदी का कडा , चेन या सिक्का धारण करना चाहिये।
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